उत्तराखण्ड

एक साल में सरकार को लगा दी इतने करोड़ की चपत, जानकर रह जाएंगे हैरान

पिथौरागढ़: एक दर्जन से अधिक निर्माण विभागों के बड़े खेल का खुलासा पिथौरागढ़ जिले में हुआ है। खनिजों की रॉयल्टी में हुए इस खेल में विभागों ने सरकार को एक वर्ष में ही 3800 करोड़ की चपत लगा दी। देहरादून से जून अंत में आई महालेखाकार(एजी) की जांच के बाद अब इस खेल का खुलासा हुआ है। खुलासा होने के बाद अब इन विभागों पर करोड़ रुपये तक की पेनाल्टी संभव है।

वर्ष 2017-18 में हुआ यह खेल यूं ही चलता रहता अगर पिछले दिनों देहरादून से आई एजी की टीम की नजर खनन विभाग की ऑडिट रिपोर्ट पर नहीं पड़ती। निर्माण विभागों ने जो सड़क निर्माण के दौरान निकलने वाले पत्थर, गिट्टी व बजरी आदि पर जो रायल्टी विभाग में जमा की थी उसकी अनुज्ञा जिलाधिकारी से नहीं ली गई थी। इस पर एजी टीम को संदेह हुआ तो सभी विभागों से एक वर्ष के दौरान कराए गए निर्माण कार्य और उनमें लगी खनिज सामग्री का ब्यौरा तलब किया गया।

विभागों ने उपयोग किए गए खनिज का जो ब्यौरा उपलब्ध कराया और जमा की गई रायल्टी में भारी अंतर मिला। टीम ने पाया जितनी खनिज सामग्री उपयोग की गई है उसकी रायल्टी लगभग 400 करोड़ रुपये बनती है, जबकि विभागों ने कुल 20 करोड़ की रायल्टी खनन विभाग के पास जमा करवाई थी। इस बड़े खुलासे के बाद एजी की टीम ने सारे कागजात कब्जे में ले लिए। टीम पूरी पत्रावली अपने साथ लेकर देहरादून लौट गई है।

खनन अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि उपखनिज नियमावली का उल्लंघन गंभीर मामला है। सरकार को बड़ी चोट पहुंचाने वाले इन विभागों पर अब पांच गुना अधिक पेनाल्टी लग सकती है जो करीब दो हजार करोड़ रुपये होगी।

बनकोट-गणाई सड़क में 60 लाख की पेनल्टी 

एजी के खुलासे के बाद हरकत में आए खनन विभाग ने ऐसे मामलों में कार्रवाई शुरू कर दी है। खनन अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि 25 किलोमीटर लंबी गणाई-बनकोट सड़क में खनिज उपयोग के लिए जिलाधिकारी की अनुमति नहीं ली गई है। उपयोग किए गए खनिज और जमा की गई रॉयल्टी में बहुत अधिक अंतर है। निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग पर 60 लाख की पेनाल्टी का प्रस्ताव बनाकर उन्होंने डीएम को सौंप दिया है।

जिलाधिकारी ने गठित की टीम 

कैग की रिपोर्ट के बाद सक्रिय हुए प्रशासन ने ऐसे मामलों में निगाह रखने के लिए टीम गठित कर दी है। इस टीम में संबंधित क्षेत्र के एसडीएम के साथ ही खनन अधिकारी, सिंचाई विभाग और वन विभाग के अधिकारी शामिल रहेंगे। टीम निकाले जाने वाले खनिज, उपयोग किए गए खनिज और जमा की गई रॉयल्टी की रकम पर निगाह रखेंगे। प्रशासन के इस कदम से राजस्व में बढ़ोत्तरी के साथ ही अवैध खनन के कारोबार पर भी रोक लगने की उम्मीद है।

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