देहरादून। शहर की सरकार चुनने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। ऐसे में दूनवासियों को ‘सभी चुनें सही चुनें’ के नारे को साकार करना होगा। यह तभी हो पाएगा, जब लोग सौ फीसद मतदान का लक्ष्य रखकर घरों से बाहर निकलेंगे। क्योंकि वर्ष 2013 के निकाय चुनाव में देहरादून का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था और यहां से महज 52 फीसद ही वोट डाले गए। यानी दून में लगभग दो लोगों में से एक ने ही वोट डाला।
मतदान के मामले में दून को उन छोटे पर्वतीय नगर निकायों से सीख लेने की भी जरूरत है, जिन्होंने पिछले चुनाव में 76 फीसद तक मतदान किया। यहां तक कि प्रदेश के विभिन्न नगर निगमों में भी मतदान का प्रतिशत दून से बेहतर रहा। जबकि दून साक्षरता दर में न सिर्फ सबसे आगे है, बल्कि प्रदेश की मशीनरी भी यहीं से संचालित होती है। यह लोकतंत्र का उत्सव है और दून पर जिम्मेदारी सबसे अधिक है।
दून से उम्मीद की जाती है कि वह सभी निकायों के लिए मतदान के मामले में नजीर पेश करे। 18 नवंबर को मतदान के दिन छुट्टी का मजा भी बेशक लें, मगर उससे पहले योग्य प्रत्याशियों को अपना मत अवश्य डालें। यह भी देखने में आता है कि सर्वाधिक पढ़ा-लिखा तबका ही वोट डालने में पीछे रहता है और जब शहर के मुताबिक प्रतिनिधि नहीं मिलते हैं तो उन्हें गरियाने में भी यही तबका आगे रहता है। तो इस बार पढ़े-लिखे दून से रिकॉर्ड मतदान की अपेक्षा है, ताकि शहर के बेहतर भविष्य के लिए कोई मलाल बाकी न रहे।