उत्तराखण्ड हेल्थ

उत्तराखंड में नहीं थम रहा स्वाइन फ्लू का कहर, पांच और मरीजों में पुष्टि

देहरादून। स्वाइन फ्लू का वायरस एक के बाद एक लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। देहरादून व आसपास के इलाकों में यह वायरस न सिर्फ तेजी से पैर पसार रहा है, बल्कि जानलेवा भी साबित हो रहा है।

उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू से अब तक सात मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि आठ मरीज स्वाइन फ्लू से पीड़ित हैं। जिनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब तक 15 लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है।

इधर, श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में हुई मरीजों की मौत का स्वास्थ्य विभाग ने डेथ ऑडिट शुरू कर दिया है। छह सदस्यीय टीम इन मरीजों की मौत के वास्तविक कारणों की पड़ताल कर रही है।

वर्तमान में स्वाइन फ्लू से पीड़ित तीन मरीज सिनर्जी अस्पताल, एक श्री महंत इंदिरेश अस्पताल और दो मरीज मैक्स अस्पताल में भर्ती हैं। स्वाइन फ्लू से पीडि़त मरीजों में दो मरीज सहारनपुर के रहने वाले भी हैं, जो यहां उपचार के लिए आए हुए हैं। स्वाइन फ्लू के बढ़ते कहर से स्वास्थ्य महकमा भी हलकान है। इतना जरूर कि विभाग ने सभी सरकारी व निजी अस्पतालों को एडवाइजरी जारी की है।

दून अस्पताल में स्वाइन फ्लू का संदिग्ध भर्ती

रुड़की निवासी स्वाइन फ्लू का एक संदिग्ध मरीज दून अस्पताल में भर्ती हुआ है। बताया जा रहा है कि मरीज को खांसी, सांस फूलना और चक्कर आने व तेज बुखार की शिकायत पर परिजन दून अस्पताल लेकर आए।

स्वाइन फ्लू को लेकर हरकत में विभाग

स्वाइन फ्लू को लेकर स्वास्थ्य विभाग हर स्तर पर तैयारी कर रहा है। इसी क्रम में गुरुवार को स्वास्थ्य महानिदेशालय में इन्टीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस कार्यक्रम (आइडीएसपी) के तहत सभी जनपदों के जिला सर्विलांस अधिकारियों, एपिडेमियोलॉजिस्ट एवं माइक्रोबायलॉजिस्ट को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में उपचार एवं प्रबंधन को प्रमुखता से अमल में लाने के लिए कहा गया।

स्वास्थ्य निदेशक डॉ. आरके पांडे ने सभी जनपदों के चिकित्सालयों में आईसोलेशन वार्ड चिन्हित करने, आवश्यक औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने, जन जागरूकता के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी जनपदों को निर्देश दिए कि वह अपने स्तर से जनता मे यह संदेश दें कि राजकीय चिकित्सालयों में एच-वन एन-वन इन्फ्लूएंजा का उपचार उपलब्ध है। ताकि मरीजों को निजी चिकित्सालयों का रुख ना करना पड़े।

निदेशक एनएचएम डॉ. अंजलि नौटियाल ने बताया गया कि एच-वन एन-वन इन्फ्लूएंजा से कोई मृत्यु रिपोर्ट होती है तो उसका डेथ ऑडिट अवश्य किया जाए। ताकि मृत्यु के वास्तविक कारणों का पता चल सके। इसके बाद ही मृत्यु के कारणों की जानकारी सार्वजनिक की जाए।

आइडीएसपी के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. पंकज कुमार सिंह ने स्वाइन फ्लू के बारे मे आम जनमानस को जागरूक करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि एच-वन एन-वन एक सीजनल इन्फ्लूएंजा की तरह है जिसका उपचार लक्षणों के आधार पर किया जाता है।

Related posts

आर्स रन का हुआ आयोजन, अभिषेक राठौर और आंचल रहे विजेता

Anup Dhoundiyal

जलस्रोतों के पुनर्जीवीकरण कार्य के लिए विभागों को अनुमति प्रदान करने का किया अनुरोध

Anup Dhoundiyal

बैसाखी पर्व पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

News Admin

Leave a Comment