देहरादून। एक दौर में राज्य के लाभकारी निगमों में शुमार रहे उत्तराखंड वन विकास निगम की माली हालत लगातार गिर रही है। पिछले दो वर्षों से यह निगम घाटे में चल रहा है। निगम की गवर्निंग बॉडी (जीबी) की बैठक में इस पर चिंता भी जताई गई। बताया गया कि चालू वित्तीय वर्ष में निगम का घाटा 46 करोड़ रहने का अनुमान है। पिछले वित्तीय वर्ष में निगम 7.46 करोड़ के घाटे में था।
सचिवालय में हुई निगम की गवर्निंग बॉडी की बैठक में करीब एक दर्जन मामले रखे गए थे। निगम के प्रबंध निदेशक गंभीर सिंह के अनुसार घाटे की स्थिति को देखते हुए इससे निबटने को कदम उठाने पर जोर दिया गया। इसके लिए ठोस एवं प्रभावी प्लान तैयार कर संस्तुतियां भेजी जाएंगी। बैठक में निगम के मार्केटिंग सिस्टम में बदलाव को लेकर भी चर्चा हुई।
इस अवसर पर निगम का वर्ष 2018-19 का बजट अनुमोदित किया गया। बताया गया कि निगम को 1004 करोड़ की आय और 1050 करोड़ के व्यय का अनुमान है। निगम के प्रबंध निदेशक के अनुसार बैठक में कोटद्वार क्षेत्र में वनों के संरक्षण को ढाई करोड़ की राशि देने, नैनीताल प्राणी उद्यान में मौजूद टाइगर को गोद लेने के लिए चार लाख रुपये खर्च करने, खनन की रॉयल्टी से जिला खनन फाउंडेशनों को 25 फीसद राशि देने पर मुहर लगाई गई।
निगम में कर्मचारियों के एसीपी विवाद का मसला भी बैठक में रखा गया। तय हुआ इस बारे में शासन को पुन: स्मरण पत्र भेजा जाएगा और शासन से दिशा-निर्देश मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्रमुख सचिव वन आनंद वर्द्धन की अध्यक्षता में हुई बैठक में वन विभाग के मुखिया जय राज, निगम के प्रबंध निदेशक गंभीर सिंह के अलावा अपर सचिव वित्त और औद्योगिक विकास मौजूद थे।