देहरादून। राजधानी में स्मार्ट सिटी की मुहिम में शामिल मॉडल रोड प्रोजेक्ट अफसरों की अनेदखी की भेंट चढ़ गया है। डेढ़ साल में सड़क के दोनों ओर करीब डेढ किमी तक नाली, फुटपाथ और रेलिंग लगाने में अफसरों का दम फूल गया। इस पर पौने दो करोड़ खर्च होने के बावजूद 80 फीसद काम पूरा हुआ है। शेष काम कराने में विवाद और बजट का रोड़ा बताया जा रहा है। इससे प्रोजेक्ट जिस उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था, उस पर दूर-दूर तक खरा नहीं उतरा।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने जून 2017 में राजधानी की सड़क, नाली, फुटपाथ पर अतिक्रमण हटाने के बाद मॉडल रोड बनाने की मुहिम शुरू की थी। इसके लिए मंत्री स्वयं सड़क पर उतर आए थे। शुरुआत की खूब तारीफ हुई, लेकिन अंजाम इतना बुरा होगा, किसी ने सोचा तक नहीं था। जिस काम में सीधे सरकार की दिलचस्पी हो, उस पर भी अफसरों ने पलीता लगा दिया। घंटाघर से प्रिंस चौक तक सड़क के दोनों ओर करीब डेढ़ किमी तक मॉडल रोड की नाली, फुटपाथ और रेलिंग का काम होना था।
इसके लिए प्रांतीय खंड लोनिवि को अक्टूबर 2017 में एक करोड़ 71 लाख का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ था। काम शुरू हुआ तो लोगों ने शहर के कोर जोन और सबसे ज्यादा भीड़ वाले इस क्षेत्र में सुकून से पैदल चलने की उम्मीदें लगाई। मगर, धीमी गति से आगे बढ़ा काम कभी विभागीय लापरवाही तो कभी विवादों की भेंट चढ़ गया। स्थिति यह है कि दोनों तरफ फुटपाथ और नाली पर 17 जगह स्लैब तक नहीं पड़ा। 26 जगह फुटपाथ बिना टाइल्स के बनाया गया। रेलिंग भी प्रिंस चौक और द्रोण होटल के बाद अन्य स्थानों पर खानापूर्ति को लगाई गई। इससे न तो नाली और न ही फुटपाथ का उद्देश्य पूरा हुआ। स्थिति यह है कि जहां फुटपाथ चौड़ा हुआ, वहां अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया। जबकि कुछ जगह व्यापारियों ने अपनी सुविधा के अनुसार रैम्प बना दिए। इससे मॉडल रोड का यह प्रोजेक्ट घपला-घोटालों की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है।
गांधी रोड पर दिनरात कब्जा
तहसील चौक से फायर सर्विस दफ्तर तक इनामुला बिल्डिंग के दोनों तरफ अतिक्रमणकारियों ने फुटपाथ पर कब्जा कर रखा है। सुबह से लेकर देर रात तक यहां अतिक्रमणकारी फुटपाथ और सड़क पर दुकान सजाए रहते हैं। इससे दो सौ मीटर के इस क्षेत्र में हर समय जाम लगा रहता है। यहां न तो प्रशासन और न ही पुलिस अतिक्रमण हटाने की हिम्मत जुटा पाती है।
नाली चोक, सड़क पर बहती गंदगी
इस क्षेत्र में भी पुरानी नाली के ऊपर स्लैब और फुटपाथ बना दिया। इससे घंटेभर की बारिश से नालियां चोक हो जाती हैं। इसके बाद नालियां ओवरफ्लो होने से गंदगी सड़क पर बहती हैं।
बोले अधिकारी
जगमोहन सिंह चौहान (अधिशासी अभियंता, प्रांतीय खंड लोनिवि) का कहना है कि घंटाघर से प्रिंस चौक तक 80 फीसद काम पूरा हो गया है। कुछ स्थानों पर विवाद के चलते रेलिंग और टाइल्स लगानी बाकी है। अभी 75 लाख रुपये का भुगतान भी होना है। जहां नाली और फुटपाथ खराब बनाया गया, वहां ठीक कराया जा रहा है।