नैनीताल हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले में आज सुनवाई सुबह साढ़े 11 बजे शुरू हुई। रावत की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने पैरवी की ।सीबीआई की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल राकेश थपलियाल ने बहस की एक बजे तक पहले चली सुनवाई में कोर्ट ने सीबीआई की प्रारंभिक सीलबंद जांच रिपोर्ट देखी और सीबीआई के अधिवक्ता की दलील को स्वीकार कर लिया है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई पूर्व में सुनवाई में न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे ने इस मामले को सुनने से इंकार कर दिया था जिसके बाद मुख्य न्यायधीश ने इस प्रकरण को न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ को स्थानांतरित कर दिया था।
रावत पर सरकार बचाने के लिए स्टिंग में विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप है। पूर्व सुनवाई में हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ में रावत के अधिवक्ताओं ने सीबीआई की इस मामले में दाखिल प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को अवैध करार देते हुए रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेने का विरोध किया था। पूर्व में सीबीआई ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने जा रही है।बता दे कि साल 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत के नेतृत्व में नौ कांग्रेस विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने हरीश रावत सरकार को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। हरीश रावत हाईकोर्ट गए थे जहां से उनकी सरकार बहाल हुई थी। इस दौरान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के एक निजी चैनल के मालिक ने हरीश रावत का स्टिंग किया था जिसमें हरीश रावत विधायकों की खरीद-फरोख़्त की बात करते दिखाई दिए थे।
इसी स्टिंग के आधार पर तत्कालीन राज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफ़ारिश की थी। सरकार बहाल होने के बाद हरीश रावत ने इस केस की जांच सीबीआई के बजाय एसआईटी से करवाने की सिफारिश की थी, लेकिन यह मामला सीबीआई के पास ही रहा। इसके बाद हरीश रावत गिरफ़्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण में चले गए थे और हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया था कि कोई भी कार्रवाई करने से पहले वह कोर्ट से अनुमति ले। तीन सितंबर को सीबीआई ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी थी कि उसने इस केस की जांच पूरी कर ली है और वह जल्द ही इस मामले में एफ़आईआर दर्ज करना चाहती है