सलमान खान ब्यूरो चीफ रामपुर
उपचुनाव वाली 11 विधानसभा सीटों में भारतीय जनता पार्टी की असली परीक्षा रामपुर और अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट पर होने के आसार हैं। वर्ष 1989 से अब तक विधानसभा के आठ चुनावों के नतीजों पर नजर दौड़ाएं तो रामपुर सीट पर एक बार भी भाजपा को सफलता नहीं मिल पाई है। वहीं, अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट पर भी केवल एक बार 1996 में कमल खिला।
वैसे लोकसभा चुनाव में भाजपा रामपुर में झंडा फहराती रही है। वर्ष 2014 में यहां से भाजपा के डॉ. नैपाल सिंह सांसद चुने गए। उनसे पहले मुख्तार अब्बास नकवी रामपुर से भाजपा सांसद रहे। पर, विधानसभा चुनाव में रामपुर सीट भाजपा की पकड़ से दूर ही रही। पूर्व मंत्री और सपा सांसद आजम खां यहां से 1985 से 2017 तक 1996 छोड़कर हमेशा जीतते रहे।
वर्ष 1996 में यहां कांग्रेस को जीत मिली थी। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा की लहर में भी यहां आजम को 47.74 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि भाजपा को 25.84 प्रतिशत। आजम के सांसद चुन लिए जाने के कारण रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। सपा ने उनकी पत्नी और राज्यसभा सदस्य डॉ. तजीन फातिमा को मैदान में उतारा है।
भाजपा उम्मीदवार भारत भूषण गुप्त 2012 में यहां बसपा के टिकट पर लड़े थे और तीसरे स्थान पर रहे थे। इस सीट के चुनावी इतिहास को देखते हुए अभी तो यही लग रहा है कि भाजपा के लिए अपना उम्मीदवार जिताना किसी चमत्कारिक उपलब्धि से कम नहीं होगा। यह ऐसी सीट है जहां मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है।
रामपुर में भाजपा के दोनों हाथ में लड्डू, हारने पर राज्यसभा में बढ़ेगी ताकत
एक मायने में रामपुर की बाजी भाजपा को लाभ देती ही नजर आ रही है। तंजीन का राज्यसभा का कार्यकाल नवंबर 2020 तक है। भाजपा जीत जाती है तब तो यह उसकी बड़ी सफलता मानी ही जाएगी, पर यदि तजीन जीतती हैं तो उनके त्यागपत्र से खाली होने वाली राज्यसभा सीट पर भाजपा अपने किसी नेता या कार्यकर्ता को भेज सकती है। इससे राज्यसभा में सपा का एक सदस्य और कम हो जाएगा जबकि भाजपा का बढ़ जाएगा। उत्तर प्रदेश से सपा के तीन राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर, संजय सेठ और सुरेंद्र नागर पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं।