उत्तराखण्ड

जिला पंचायत अध्यक्षों व पंचायत प्रमुखों की कुर्सी पर कब्जे के लिए भाजपा और कांग्रेस लॉबिंग में जुटे सियासी दल

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्षों व क्षेत्र पंचायत प्रमुखों की कुर्सी पर कब्जे के लिए सियासी दल भाजपा और कांग्रेस लॉबिंग में जुट गए हैं। जोड़-तोड़ से लेकर बागियों को अपने खेमे में लाने की कसरत समेत तमाम गुणाभाग का क्रम शुरू कर दिया गया है।

भाजपा की ही बात करें तो उसने चार जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के प्रत्याशियों के नाम का एलान करने के साथ ही अन्य के लिए बैठक बुलाई है। क्षेत्र पंचायत प्रमुख पदों के प्रत्याशियों के लिए भी जिला स्तर से पैनल मंगाए गए हैं।

2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर पिछले लोकसभा के चुनाव तक राज्य में हुए प्रत्येक चुनाव में भाजपा ने परचम लहराया। ऐसे में अब उसके सामने छोटी सरकार यानी पंचायतों में भी छाने की चुनौती है। हालांकि, पंचायत चुनाव पार्टी आधार पर नहीं होते, मगर भाजपा ने जिला पंचायत सदस्य पदों पर अपने समर्थित प्रत्याशी घोषित किए थे।

अब जबकि नतीजे आ चुके हैं तो भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रमुखों की कुर्सी के लिए कवायद तेज कर दी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सात जिलों में जिपं अध्यक्ष की कुर्सी के लिए भाजपा सुकून की स्थिति में है, जबकि चार में उसे मशक्कत करनी पड़ेगी और एक जिले में उसे बागियों की मदद लेनी पड़ सकती है।

सूत्रों ने बताया कि पार्टी से बगावत कर चुनाव जीतने वाले 16 उम्मीदवार हैं। इन पर पार्टी की नजर है और उनसे संपर्क साधा जा रहा है। पार्टी उन्हें अपना मानकर चल रही है। बागियों का समर्थन हासिल करने के बाद उनकी पार्टी में तुरंत वापसी हो सकती है। इसके अलावा जिन विजयी प्रत्याशियों को किसी दल का समर्थन नहीं था, उनसे भी संपर्क साधना शुरू कर दिया गया है।

इनमें से कुछ को उपाध्यक्ष पद पर समर्थन दिया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो ब्लाक प्रमुखों, ज्येष्ठ व कनिष्ठ उपप्रमुखों के लिए भी इसी प्रकार की रणनीति तय की जा रही है। हालांकि, प्रमुख पदों पर प्रत्याशियों के चयन के लिए जिला स्तर से बनाए गए पैनल में शामिल नाम मांगे गए हैं।

भाजपा ने दून बुलाए नवनिर्वाचित जिपं सदस्य 

जिला पंचायत सदस्य पदों पर निर्वाचित हुए भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को देहरादून बुलाया है। उन विजेता प्रत्याशियों को भी न्योता दिया गया है, जो किसी दल विशेष के समर्थित नहीं थे, मगर भाजपा की नीतियों में भरोसा करते हैं। बताया गया कि प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में विजयी उम्मीदवारों को सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद रहेंगे।

दून में मधु चौहान जिपं अध्यक्ष प्रत्याशी भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए प्रत्याशियों के नाम घोषित करने शुरू कर दिए हैं। प्रदेश अध्यक्ष भट्ट की अध्यक्षता में हुई त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संचालन समिति की बैठक में चार नामों पर मुहर लगाई गई। इसके बाद प्रदेश महामंत्री राजेंद्र भंडारी ने इन उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।

इनमें देहरादून जिला पंचायत के लिए मधु चौहान, टिहरी के लिए सोना सजवाण, नैनीताल से बेला टोलिया और ऊधमसिंहनगर जिला पंचायत के लिए रेनू गंगवार शामिल हैं। बताया गया कि शेष आठ जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के प्रत्याशियों का एलान बुधवार शाम को होने वाली बैठक के बाद किया जाएगा।

उत्साहजनक हैं नतीजे 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के मुताबिक, पंचायत चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए उत्साहजनक हैं। सभी 12 जिला पंचायतों में भाजपा के बोर्ड बनने जा रहे हैं। भाजपा का एजेंडा सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास है। प्रदेश में वे सभी उम्मीदवार जो किसी दल विशेष के समर्थित नहीं थे और जिनके कार्य का एजेंडा विकास है, वे भाजपा के साथ खड़े हैं।

कांग्रेस भी उत्साहित, अब अध्यक्ष पद पर नजरें

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। इन नतीजों से कांग्रेस भी खासी उत्साहित नजर आ रही है। कांग्रेस ने अब अपने सभी जिलाध्यक्षों से कांग्रेस समर्थित विजयी प्रत्याशियों की सूची उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही सभी जिलाध्यक्ष, विधायकों व पूर्व विधायकों को जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष पदों पर आपसी समन्वय बनाने को भी कहा गया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि चुनाव में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों के साथ ही कांग्रेसी विचारधारा से जुड़े निर्दलीय प्रत्याशी भी जीते हैं। ये समीकरण कांग्रेस के पक्ष में हैं। कांग्रेस पंचायत नतीजों को फिलहाल अपने पक्ष में मान कर चल रही है।

दरअसल, विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस फिर से जीत की पटरी पर लौटना चाहती है। यह रास्ता उसे पंचायत चुनावों के जरिये मिलता नजर आ रहा है। इसके साथ ही पिछले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन को भी आधार बनाए हुए है।

यह बात अलग है कि अब सियासी समीकरण बदल चुके हैं। बावजूद इसके बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवारों को मिली जीत ने कांग्रेस को खासी राहत दी है। दरअसल, कांग्रेस ने इन चुनावों में बेहद सीमित प्रत्याशियों को ही अपना समर्थन दिया था। जहां दो या अधिक कांग्रेसी कार्यकर्ता मैदान में थे वहां कांग्रेस ने वेट एंड वाच की रणनीति अपनाई ताकि नतीजे मिलने के बाद विजयी प्रत्याशियों पर अपना हाथ रख सके।

अब कांग्रेस का दावा है कि कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों ने अच्छी संख्या में जीत दर्ज की है और जिलाध्यक्षों से बुधवार दोपहर तक इसकी रिपोर्ट देने को कहा गया है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के अनुसार, कांग्रेस का प्रदर्शन चुनावों में काफी बेहतर रहा है। नतीजों से साफ हो गया है कि जनता ने भाजपा के खिलाफ वोट दिया है। जो निर्दलीय जीते हैं, वे भी कांग्रेसी विचाराधारा के हैं। पंचायत अध्यक्ष व ब्लॉक प्रमुखों के लिए अब पार्टी के जिलाध्यक्षों, विधायकों व पूर्व विधायकों से आपसी समन्वय बनाने को कहा गया है।

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