उत्तराखण्ड

देश में पहली बार प्लास्टिक से डीजल व अन्य पेट्रोलियम का उत्पादन शुरू

भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) व गति फाउंडेशन के बीच हुए समझौते के तहत दून में प्लास्टिक बैंक की शुरुआत हो गई है। इस तरह का पहला प्लास्टिक बैंक सुभाष रोड स्थित दृष्टि आई इंस्टीट्यूट में बनाया गया है। आइआइपी के साथ किए गए समझौते के तहत गति फाउंडेशन भारतीय पेट्रोलियम संस्थान को ऐसा प्लास्टिक कचरा उपलब्ध करवाएगा, जिससे संस्थान में स्थापित किए गए संयंत्र में डीजल बनाया जा सके।

प्लास्टिक बैंक की स्थापना के अवसर पर दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. गौरव लूथरा ने कहा कि उनका संस्थान प्लास्टिक वेस्ट को लेकर हमेशा सतर्क रहा है और अब तक अपने स्तर पर प्लास्टिक कूड़े का निस्तारण करता रहा है। इस प्रयास को प्लास्टिक बैंक की स्थापना से विस्तार मिल पाएगा। क्योंकि गति फाउंडेशन के माध्यम से बैंक में डीजल बनाने योग्य प्लास्टिक कचरा उपलब्ध हो पाएगा। इसके साथ ही बैंक में प्लास्टिक वेस्ट जमा करवाने के साथ ही संस्थान के 80 से ज्यादा कर्मचारियों के घर से निकलने वाला प्लास्टिक कूड़ा भी यहां एकत्रित कराया जाएगा।

वहीं, गति फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने कहा कि उनका प्रयास है कि शहर के सभी बड़े संस्थानों में इस तरह के प्लास्टिक बैंक स्थापित किए जाएं। इस अवसर पर दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. एमसी लूथरा, डॉ. शशाक गंडे, गति फाउंडेशन के प्रतिनिधि ऋषभ श्रीवास्तव, प्यारे लाल, विदुष पाडे, प्रवीण उप्रेती आदि उपस्थित रहे। उधर, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के निदेशक डॉ. अंजन रे ने देहरादून में स्थापित किए गए पहले प्लास्टिक बैंक की शुरुआत पर हर्ष जताया और उम्मीद की कि नागरिक सामूहिक जिम्मेदारी के आधार इस मुहिम को आगे बढ़ाएंगे।

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