देहरादून। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा कराने वाली संयुक्त रोटेशन की 13 कंपनियों पर अब लॉकडाउन का असर पड़ने लगा है। लॉकडाउन की वजह से बेरोजगारी की मार झेल रहे ड्राइवर, कंडक्टर और परिवहन व्यवसायी सरकार के लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ाने के फैसले से चिंतित हो गए हैं। लॉकडाउन के चलते बेरोजगारी का दंश झेल रहे परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए वाहनों की किस्त और टैक्स जमा करना तक मुश्किल हो गया है। व्यवसाय से जुड़े लोगों और संस्थाओं ने सरकार से राहत की मांग की है ताकि इस मुश्किल समय में परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोग जिंदा रह सकें।
परिवहन महासंघ ने राज्य सरकार से मांग की है कि जिस तरह 2013 में उत्तराखंड के परिवहन व्यवसायियों को राहत दी गई थी उसी तरह कोराना संक्रमण काल में भी राज्य सरकार वाहन व्यवसायियों के टैक्स माफ करें। महासंघ ने वाहन स्वामी के साथ ही ड्राइवर, कंडक्टर के लिए भी राहत पैकेज की भी घोषणा की मांग की है। महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय का कहना है कि चार धाम यात्रा सिर पर है और परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों की लगातार बुकिंग कैंसिल हो रही हैं। 2020 की चार धाम यात्रा कोरोना वायरस के चलते शुरु भी हो पाती है या नहीं, यह कहना भी मुश्किल है.राय कहते हैं कि परिवहन व्यवसायियों पर दोहरी मार पड़ रही है और इस सेक्टर को बचाने के लिए सरकार को तुरंत यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। टैक्स माफ करने के अलावा असंगठित क्षेत्र के ड्राइवर, कंडक्टर को राहत पैकेज भी देना चाहिए ताकि वह अपना जीवन यापन कर सकें। बता दें कि संयुक्त रोटेशन बीते चार दशक से उत्तराखंड में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री की यात्रा को परिवहन सेवा के माध्यम से पूरा कराता है. 6 महीने चलने वाली है यात्रा उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का मुख्य साधन है। इसका इंतजार इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को बेसब्री से रहता है लेकिन लॉकडाउन में सब कुछ ठप हो गया है।