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बैंक सखी बीना जखमोला हर महीने जा रहीं 3 गांवों में, करीब 600 लोगों को बांट चुकी वृद्धावस्था पेंशन 

-कोरोना महामारी के बीच ग्रामीण भारत में जीवन निर्वाह सेवाओं को पहुंचाने वाली बैंक ’सखियाँ’

देहरादून। भारत और नेपाल में अंतिम मील के वित्तीय समावेशन के लिए डिजिटल भुगतान और वितरण प्रणालियों में एक अग्रणी फिनटेक कंपनी एफआईए ग्लोबल लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान कर रही है। बैंक मित्रों और बैंक सखियों के सहयोग से कंपनी कोविड-19   महामारी के कारण हुए संकट के दौरान ग्रामीणों तक उनकी मदद कर रही है। केंद्र और राज्य सरकारों ने किसानों, पीएमजेडीवाई खाताधारकों और गरीबों के लिए विभिन्न राहत पैकेजों की घोषणा की है, लेकिन यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि भारत के बेहद दूरस्थ गांवों ध्जिलों में जरूरतमंदों तक पैसा पहुंचे, व्यापार संवाददाताओं (बैंक मित्र सखी) पर पड़ता है। व्यापार संवाददाता गैर शाखा स्थानों पर सेवाएं प्रदान करने के लिए बैंकों के साथ लगे खुदरा एजेंट हैं।
करीब 3400 बैंक सखियों को घर-घर जाकर सुविधाएं देकर ग्रामीणों की सेवा कर रहे हैं ताकि जरूरी लोगों तक नकदी पहुंचाई जा सके। कारगिल से लेकर कन्याकुमारी तक ये बैंक मित्र और बैंक सखी सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए अपने चेहरे को ढकने के लिए सैनिटाइजर, साबुन, फेस मास्क या यहां तक कि स्टोल पर भरोसा कर रहे हैं। उचित परिश्रम से गुजरते हुए बैंक सखी भी महामारी से लड़ने के लिए सामाजिक दूरी के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित कर रहे है।
एफआईए ग्लोबल के मुख्य बिक्री अधिकारी दीपायन चैधरी ने कहा, “ऐसे समय में भारतीयों को स्वस्थ वातावरण बनाए रखने में एक-दूसरे की मदद के लिए एकजुट होना चाहिए। महामारी के दौरान लोगों को सुरक्षित वातावरण बनाए रखना होगा और नागरिकों की दैनिक जरूरतों की सेवा करने वालों को बाधित नहीं करना पड़ता है । हम, बैंक सखी के साथ एफआईए ग्लोबल में, इस तरह की आपात स्थिति के दौरान अपने ग्राहकों की मदद करने के लिए समर्पित हैं। देश के सभी सैनिकों को हमारी सच्ची शुभकामनाएं ।“ उत्तराखंड क्षेत्र से आई बैंक सखी बीना जखमोला कहती हैं, मैं हर महीने  3 गांवों में करीब 600 वृद्धावस्था पेंशन और नरेगा का वितरण करती हूं। मैं सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक 1 घंटे के लंच ब्रेक के साथ काम शुरू करता हूं। अब मैं उनके घर जाकर महिला पीएमजेडीवाई खातों में जमा 500 रुपये बांटती हूं। यहां मैं उत्तराखंड सरकार के वृद्धावस्था पेंशन वितरण करने के लिए गांव में हूं ।”

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