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परमार्थ निकेतन में सनातन धर्म के ज्योर्तिधर और वेदान्त के प्रणेता आदि गुरू शंकराचार्य की जयंती मनाई गई 

-कोरोना वायरस से मुक्ति के लिये सोशल डिसटेंसिंग और लाॅकडाउन है रामबाण औषधिः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में हिन्दू धर्म की सर्वोच्च पीठ के जगद्गुरू, सनातन धर्म के ज्योर्तिधर भारत की महान विभूति आदिगुरू शंकराचार्य जी की जयंती के अवसर पर सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुये सभी संतों ने वेद मंत्रों से शंकराचार्य जी का पूजन किया। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने लाॅकडाउन के पहले से परमार्थ निकेतन में निवास कर रहे भारत सहित विश्व के कई देशों के पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अद्वैत परम्परा, सनातन धर्म और भारत के चार क्षेत्रों में स्थापित चार पीठों की गौरवमयी परम्परा और आध्यात्मिक महत्व के विषय में जानकारी प्रदान की।
 प्रातःकाल 6 बजे आदिगुरू शंकराचार्य जी का अभिषेक, हवन, विशेष पूजन और विश्व शान्ति से कोरोना से मुक्ति के लिये विशेष मंत्रों से जप किया गया। स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना वायरस की चपेट में है, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ’’दो गज दूरी जो है जरूरी’’ का मंत्र दिया है, उसका हम सभी देशवासियों को गंभीरता से पालन करना चाहिये क्योंकि इस वायरस से मुक्ति कि लिये सोशल डिसटेंसिंग ही रामबाण औषधि है। रामबाण से तात्पर्य 100 प्रतिशत सफलता प्रदान करने वाला प्रयोग। व्यक्ति जब अस्वस्थ होता है और जब सब चीजे फेल हो जाती है तब रामबाण औषधि ही काम करती है। लाॅकडाउन ही लक्ष्मण रेखा है, इस लाॅकडाउन की लक्ष्मण रेखा को मत लांघिये इसका पालन निष्ठा के साथ करे यह देश की अद्भुत तरीके से सेवा करने का एक अवसर है। कई बार सीमा पर जाकर लड़ाई नहीं लड़ी जाती बल्कि अपने घर के दरवाजे की सीमा रेखा न लांघना ही कोरोना पर विजय प्राप्त करना है इसलिये अपने घर में रहें और सुरक्षित रहंेे।

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