देहरादून।गढ़वाली- कुमाऊंनी,- जौनसारी भाषा अकादमी दिल्ली के पहले उपाध्यक्ष लोकगायक हीरा सिंह राणा का देर रात दिल्ली स्थित आवास पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके निधन की खबर से लोग आहत हैं।राणा ने पहाड़ की पीड़ा को विश्वस्तर पर पहुंचाया। उनके द्वारा गाए गीत आज भी लोगों की जुबान में हैं। रात करीब ढाई बजे उनको दिल का दौरा पड़ा। तीन बजे उनकी मौत हो गई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के महान लोक गायक व लोक संगीत के पुरोधा हीरा सिंह राणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हीरा सिंह राणा के निधन से लोकसंगीत को अपूर्णीय क्षति हुई है। 1942 में सल्ट के मानिला डढोली गांव में नारंगी देवी एवं मोहन चन्द्र सिंह राणा के घर में पैदा हुए। गांव में की प्रारंभिक पढ़ाई हुई। इंटर की परीक्षा दिल्ली से पास की।कोलकत्ता में गीत एवं नाट्य प्रभाग से उन्होंने करियर शुरू किया। इसके बाद उन्होंने कुमाऊंनी गढ़वाली गीतों को लिखा। और ये गीत खुद गाए। उनके निधन पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व लोक कलाकारों ने दुख जताया है। वह अपने पीछे पत्नी विमला और पुत्र हिमांशु को छोड़ गए हैं। उनका अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया गया। फरवरी 2020 में भारत सरकार संगीत नाटक अकादमी ने उन्हें अकादमी सलाहकार नियुक्त किया था।