देहरादून। एक तरफ कोरोना की मार और दूसरी तरफ काम धंधा चैपट होने और बेरोजगारी, उसके ऊपर से मंहगाई और ओवररेटिंग, ऐसे में आम आदमी जाये तो जाये कहंा और करे तो करे क्या? कोरोना काल में आम आदमी का हाल बेहाल हो चुका है और उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। कोरोना के कारण लाकडाउन के झंझावत से घिरे आम आदमी को अब न सिर्फ तमाम तरह की पाबंदियों की मार झेलनी पड़ रही है वहीं उसकी आय के स्रोत बंद हो चुके है और वह अपनी बचत से किसी तरह अपना जीवन अब तक धकेल रहा है। लेकिन अब सवाल यह है कि वह इन हालातों में कितने दिन और सहन कर सकता है।
बीते 12-13 दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है तथा पेट्रोल की कीमत 7 और डीजल की कीमतें औसतन 7.50 रूपये प्रति लीटर बढ़ चुकी है। अन्य खाद्यान्न वस्तुओं की ओवररेटिंग की मार झेल रहे आम आदमी के लिए अब यह मुल्य वृद्धि असहनीय हो चुकी है। बीते कल राज्य की कैबिनेट बैठक में 30 किलोमीटर तक चलने वाले सार्वजनिक वाहनांे का किराया दो गुना कर देने का फैसला किया गया है। क्योंकि आधी सवारी के साथ इन वाहन स्वामियों को घाटा हो रहा था। जिसके कारण इन वाहनों को चलाने की अनुमति के बाद भी वाहन स्वामी वाहन नहीं चला रहे थे। सवाल यह है कि सरकार ने इस समस्या का समाधान निकाल लेने के लिए आम आदमी पर ही अब इसका बोझ लाद दिया है। भले ही ओवरलोडिंग करने वाले यह वाहन चालक अपने वाहनों में दो गुना किराया वसूलें भी लेकिन वह आधी सवारियों के साथ वाहन चला पायेंगे? और क्या यात्री दो गुना किराया देकर सफर कर सकेंगें? कोरोना संक्रमण ने लोगों को बुरी तरह मार डाला है। जो बीमार है वह तो बीमार है ही और कई लोग तो ऐसेे है जो अपना टेस्ट कराने की स्थिति में नहीं है। लेकिन जो कोरोना मुक्त है उन्हे बढ़ती मंहगाई और हर रोज आने वाली गाइड लाइनें और कानून मारे डाल रहे है। ऐसे में गरीब और आम आदमी जिसका रोजगार चला गया है वह कैसे जिंदा रह सकेगा।