देहरादून। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार के तत्वावधान में जनपद उत्तरकाशी में संस्कृत क्षेत्रे आजीविकायाः साधनानि विषय पर एक विद्वत् गोष्ठी का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से किया गया। इस विषय पर गोष्ठी मार्गदर्शक अकादमी के सचिव डा० आनन्द भारद्वाज के नेतृत्व में आयोजित की गई। गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि डॉ० प्रकाश पन्त ने कहा कि संस्कृत भाषा संस्कारों के साथ-साथ रोजगार की जननी भी है।
संस्कृत भाषा संस्कारों के साथ-साथ आजीविका की भी जननी है। गोष्ठी में 50 से अधिक विद्वानों ने संस्कृत, संस्कार व संस्कृत के माध्यम से जीविकोपार्जन का साधन आदि पर चर्चा की। गोष्ठी में संस्कृताचार्य डा0 संजीव भट्ट ने संस्कृत के मूलाधार को मानव जीवन की सुरक्षा, दृढ़ इच्छाशक्ति,आत्मबल व संस्कारित वातावरण के साथ ही रोजगार के रूप में अपनाने समेत हर प्रकार के संकट में जूझने की शक्ति देने वाला बताया। वहीं नई शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए विशिष्ट अतिथि डा0 रामभूषण बिजल्वाण एवं मुख्य वक्ता के रूप में डा० नरेद्र पाण्डेय ने संस्कृत की उपादेयता के बारे में दोनों वक्ताओं ने बताते हुए कहा कि संस्कृत हमारी देववाणी है जिसका सम्मान आज विदेशों में भी कई देशों में हो रहा है। अमेरिका, रूस, इंग्लैंड जापान आदि देशों के विद्वान व विभिन्न भाषाओं के जानकार देववाणी संस्कृत भाषा समेत गीता जैसे भारतीय ग्रंथों पर रिसर्च कर रहे हैं जोकि भारतीयों के लिए गौरव का विषय है। सबसे बड़ी गौरव की बात है कि हमारे देश के सैकड़ों संस्कृत व हिंदी भाषाओं के विद्वान विदेशों में अपनी भाषाओं का अध्यापन करा रहे हैं। श्री कमल संस्कृत विधालय पुरोला के प्राचार्य शिवप्रसाद नौटियाल ने संस्कृत भाषा को दुनिया की सभी भाषाओं,संस्कारों, ग्रथों की जननी बताते हुए संस्कृत को कंप्यूटर भाषा के रूप में अपना कर राशि फल,जन्म पत्री,काल गणना,मौसम व भविष्य में होने वाली दुनियाभर की घटनाओं की गणना व जानकारी के माध्यम से रोजगार से जोडा जा सकता है। गोष्ठी में गूगल एप के माध्यम से राज्य संयोजक डा० हरीश गुरुरानी, किशोरी लाल रतूडी, जनपद संयोजक चन्द्रशेखर नौटियाल, सह संयोजक अनिल बहुगुणा, डा. आरडी नौटियाल, लोकेश बडोनी, मेदनी डंगवाल, शक्ति उनियाल, शिवस्वरूप नौटियाल याज्ञिक, आशीष उनियाल, शिवप्रसाद गौड़, अन्नराज सिंह भण्डारी, ऋतम्भरा सेमवाल, अकुंश गैरोला आदि ने चर्चा की।
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