देहरादून। पर्यटन मंत्रालय के ‘‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’’ योजना के अन्तर्गत पर्यटन सुविधाओं के आर्ट ऑफ लिविंग संस्था ने ऋषिकेश के घाटो, रिवरफ्रंट को गोद लेकर उनके रखरखाव की परियोजना में रुचि जाहिर की है। संस्था ने इस संदर्भ में उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के समक्ष इस आशय का प्रस्ताव रखा है।
परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रदेश के पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर की अध्यक्षता में बैठक के दौरान संस्था ने अपना प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया। सचिव पर्यटन ने बैठक के दौरान कहा कि इस योजना के तहत घाटों, रिवरफ्रंट के सौन्दर्यीकरण, देख भाल किसी संस्था द्वारा उसको गोद लेकर किया जाता है। किन्तु इन स्थानों के स्वामित्व संबंधी समस्त अधिकार राज्य सरकार के पास ही होते हैं। उत्तराखण्ड में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि से सुरम्य, पर्यटन हेतु पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण 10 स्थलों का चयन कर ‘अपनी धरोहर अपनी पहचान’ योजना का प्रस्ताव भारत सरकार को दिया गया है। अपनी धरोहर अपनी पहचान योजना के अन्तर्गत अभी गंगोत्री मंदिर क्षेत्र और गौमुख ट्रेल, चैरासी कुटिया, ऋषिकेश व नारायण कोटी मंदिर, रूद्रप्रयाग प्राकृतिक स्थलों को गोद लेकर कुछ संस्थाओं को कार्य करने की स्वीकृति दी गयी है। बैठक के दौरान संयुक्त निदेशक वीएस चैहान, आर्ट ऑफ लिविंग के प्रतिनिधि स्वामी विजयानंद सरस्वती व यूटीडीबी के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।