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जीरो टालरेंस में अफसरों ने कोरोना के नाम पर लुटाए बावन करोड़!

पीसीबी के दानी अफसरों ने कर दिया बोर्ड को मिलने वाले ब्याज के चार करोड़ का नुकसान

-समय से पहले एफडी तोड़ सीएम कोबिड फंड में दिए थे पचास करोड़

चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून। अगर उतराखण्ड प्रदूषण बोर्ड के अफसर यूं ही जन धन को लुटाते रहे तो एक दिन बोर्ड के कर्मचारियो को तनखा के भी लाले पड़ जाएंगे। जी हां हम आपको चार सालों में उतराखण्ड के जीरो टालरेंस में अफसरों की कारस्तानी से रूबरू करवा रहे है। कोरोना काल में दानी बनने के चक्कर मे इन मौकापरस्त अफसरों ने पहले तो पचास करोड़ प्रदूषण बोर्ड के नियम विरुद्ध फ्री में दे दिए। और तो और चार करोड़ के मुनाफे का भी नुकसान करवा दिया। यह सब सूचनाधिकार अधिनियम के अंतर्गत मिली जानकारी से आमने आया। जलवायु एक्ट के नियमो की माने तो बोर्ड कोई भी धनराशि इस प्रकार से नही दे सकता,फिर भी त्रिबेन्द्र सरकार में (जीरो टॉलरेंस ) के हीरो अफसरों ने नियमो को धता बताते हुए यह सब कुछ कर करोड़ो का फटका प्रदूषण बोर्ड को लगा दिया। भ्रस्टाचार के खिलाफ सालो से लड़ाई लड़ रहे जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ नेगी ने इस मामले में सीएम तीरथ रावत से उच्च स्तरीय जांच करवाने,जनधन की बंदर बांट करने वाले ऐसे बोर्ड अफसरो के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की। उतराखण्ड में राज्य बोर्ड की चौबीसवीं बैठक का हवाला देते हुए बताया गया, कि इसी बैठक में और एक सीएम के करीबी अफसर के पत्र के आधार पर बोर्ड के करोड़ो रूपये यूँ ही लूटाने की छूट दे दी गई। यही नही अधिकांश एफडी जो कि नवें महीने दो हजार बीस को पूरी होने वाली थी, उंन्हे तीन महीने पहले तोड़ा गया,जिस कारण बोर्ड को लगभग चार करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा।

इक्कीस खातों से तोड़ी गई एफडी
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प्रदूषण बोर्ड के कर्मचारियों के लिए दो हजार बीस का साल किसी बज्रपात से कम नही होगा। जब इतनी बड़ी संख्या में बैंकों से पैसा निकालने की नौबत आई हो। इन बीस सालों में पहली बार बोर्ड सदस्य सचिव और बोर्ड अध्यक्ष ने पीएनबी यमुना कालोनी एक खाता,पीएनबी आईएमए दो खाते,पीएनबी एचएनआईसी के चौदह खाते,नैनीताल बैंक के दो खाते,आन्ध्रा बैंक के तीन खातों,कुल बोर्ड के उन्नीस बैंक खातों से बावन करोड़ की धनराशि एकमुश्त निकाली गई। बावन करोड़ की एफडी कोरोना के नाम पर तोड़ी गई लेकिन पचास करोड़ पचपन लाख सिर्फ कोरोना पर लुटाए गए बाकी डेढ़ करोड़ कहाँ गए यह भी पहेली बना हुआ है। बोर्ड अफसरों की कारस्तानी की यह सिर्फ एक बानगी है। ऐसा ही सब कुछ चलता रहा तो एक दिन बोर्ड कर्मचारियों को बेतन के भी लाले पड़ जाएंगे। यह हम इसलिये कह रहे है कि आज तक बीस साल के अंतराल में किसी भी बोर्ड अफसर ने इतनी बड़ी धनराशि बोर्ड खाते से ठिकाने नही लगवाई।

पचास करोड़ दिए मिला डारेक्टर का पद
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इसे क्या कहेंगे पीसीबी के सदस्य सचिव आईएफएस एसपी सुबुद्धि ने जून दो हजार बीस पहले हफ्ते में,पचास करोड़ रुपये बोर्ड के सरकार को कोरोना के नाम पर क्या दिए कि। उधर,जून ही माह के तीसरे हप्ते उंन्हे इसका इनाम सदस्य सचिव के साथ ही राज्य पर्यावरण संरक्षण जलवायु परिवर्तन निदेशालय का डारेक्टर बना कर दिया गया। यह संयोग नही प्रयोग है,जो इनके लिए सरकारी धन को ठिकाने लगाने के बाद सफल रहा।

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