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कोविड के बावजूद लचीला और उछालदार बना हुआ है देश का क्रेडिट इकोसिस्टम

देहरादून। विश्व की अग्रणी वैश्विक सूचना सेवा कंपनी एक्सपीरियन तथा निवेश एवं सहूलियत प्रदान करने वाली राष्ट्रीय एजेंसी इन्वेस्ट इंडिया की ताजा संयुक्त रिपोर्ट “ए रिव्यू ऑफ इंडियाज क्रेडिट इकोसिस्टम” में खुलासा किया गया है कि महामारी के बावजूद भारत का क्रेडिट इकोसिस्टम लचीला और उछालदार बना हुआ है। “ए रिव्यू ऑफ इंडियाज क्रेडिट इकोसिस्टम” नामक रिपोर्ट उधार देने वाले सेक्टर के कई प्रमुख रुझान प्रकाश में लाती है। रिपोर्ट में गौर करने लायक मुख्य रुझान यह है कि पूरे विश्व की अधिकांश बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारतीय कंज्यूमर क्रेडिट मार्केट की वृद्धि दर अधिक रहने का अनुमान है। इसे भारत की डेमोग्रैफी में आए बदलाव, निजी खपत को तेजी से बढ़ाने वाले प्रभावशाली मध्यवर्ग की संपन्नता के साथ-साथ ग्रामीण आबादी में हुए विकास से बल मिलेगा। प्रौद्योगिकी इन सब कारकों की उत्प्रेरक बन रही है। बैंकिंग सेवाओं से वंचित और सेवारहित आबादी के मार्केट में अंतरालों और कमियों को चिह्नित करते हुए रिपोर्ट इस बात की पड़ताल करती है कि इन उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए एनबीएफसी और फिनटेक ने किस तरह से उधार देने के लैंडस्केप को रूपांतरित कर दिया है। यह रिपोर्ट पूरी महामारी के दौरान नियामक-तंत्र व माहौल द्वारा भारत के क्रेडिट इकोसिस्टम को दिए गए सहयोग व समर्थन का प्रमुखता से उल्लेख भी करती है। मार्च 2017 से फरवरी 2021 के बीच भारतीय इकोसिस्टम को ट्रैक करने वाला रिपोर्ट का डेटा समस्त भारतीय बाजारों में हुई एक वी-आकार की रिकवरी को रेखांकित करता है, जिसमें सोर्सिंग रुझानों के अंदर एक स्थिर व क्रमिक सुधार नजर आता है। नई सोर्सिंग ने कोविड-19 से पूर्व के अक्टूबर 2020 वाले स्तर को पार कर लिया है। हालांकि कोविड-19 की दूसरी लहर तथा लॉकडाउन लगने के चलते जनवरी 2021 से सोर्सिंग की मात्रा में गिरावट दर्ज की गई थी।

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