संवाददाता, देहरादून
सरकार लाख दावे करें लेकिन हकीकत एकदम अलग है। आलम यह है कि डीजी हेल्थ के आदेश के स्वास्थ्य महकमे के लिये कोई मायने नहीं है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य महकमे में एडजस्टमेंट पर चले रहे साहबों को मूल तैनाती पर भेजने के आदेश जारी किये गये थे लेकिन स्वास्थ्य महकमा ने इस आदेश को हवा में उड़ा दिया। ऐसे में प्रदेश में जुगाड़बाजी का खेल खूब आगे बढ़ रहा है।
चार जून-2021 को डीजी हेल्थ ने एक आदेश जारी किया था जिसमें स्पष्टतौर पर आदेशित किया गया था कि जो मूल तैनाती पर नहीं हैं उन्हें शीघ्र ही मूल तैनाती पर भेजा जाये। जून का यह आदेश जुलाई समाप्त होने तक लागू नहीं हुआ। प्रदेश मुख्यालय देहरादून में साहब जी मूल तैनाती से बचकर देहरादून में डेरा डाले हुये हैं। अब सवाल यह है कि डीजी हेल्थ कोई छोटा पद तो नहीं हैं। इतने बड़े अधिकारी के आदेश जब हवा में उड़ाये जा रहे हैं तो अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य महकमा में क्या चल रहा है जो कि प्रदेश की जनता के लिये कतई अच्छा नहीं माना जा सकता है। सबसे अहम सवाल यह है कि जब प्रदेश मुख्यालय में ही डीजी हेल्थ के आदेश को मानने की जहमत नहीं समझी जा रही है तो दूर-दराज क्षेत्रों का क्या हाल होगा। इसका अंदाजा स्वयं ही लगाया जा सकता है। कायदे में तो इस बात की भी जांच होनी चाहिये कि आखिर डीजी हेल्थ के आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ। उन पर एक्शन भी लेना चाहिये जिन्होंने डीजी हेल्थ के आदेश नहीं मानें। कुल मिलाकर सारा खेल जुगाड़बाजी का है। सवाल यह भी जन्म लेता है कि कहीं आदेश केवल दिखावे के लिये तो नहीं हुये, अगर नही ंतो आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ। डीजी हेल्थ जैसे बड़े अधिकारी के आदेश को नहीं मानना बड़े सवाल को जन्म देता है। फिलहाल, नये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत क्या इस मामले में कोई कार्रवाई करेंगे, यह देखना होगा, अगर नहीं करते तो सरकार पर भी सवाल उठेंगे।