-प्रमाण पत्र शुल्क की रसीद तक आवेदन कर्ताओं को नहीं दी जा रही
देहरादून। नगर निगम देहरादून अपने गठन सेल लेकर वर्तमान तक में अपनी कार्यशैली को लेकर विवादों में रहा है। चाहे वह निगम के भूमि विभाग के अध्किारियों की मिलीभगत से जमीने कब्जाने का मामला हो या फिर उपकरणों की खरीद स्वच्छता समितियों में गोलमाल जिससे निगम प्रशासन अब तक कटघरे में खड़ा रहा है।
वर्तमान में भी अनियमितताएं लगातार सामने आ रही हैं। ऐसा ही एक और मामला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने वालों को यहां जमा करने वाले शुल्क की रसीद तक नहीं दी जा रही पिछले दिनों यह मामला मेयर सुनील उनियाल गामा के संज्ञान में भी आया था जिस पर आनन-फानन में उन्होंने मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने वालों से शुल्क नहीं लेने का फरमान जारी कर दिया था लेकिन स्वास्थ्य अनुभाग के अंतर्गत आने वाले जन्म मृत्यु प्रमाण पत्रा विभाग की कार्यशैली विवादों में आ गई है। मामला यहां जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने आने वालों से शुल्क लेने और निर्धारित शुल्क से अधिक वसूलने के बावजूद रसीद तक नहीं दी जा रही है। जब इस संबंध में इस अनुभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों से सवाल किया जाता है तो वह काम नहीं करने की धमकी तक दे डालते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यहां लंबे समय से तैनात एक अधिकारी की हठधर्मिता इस कदर बढ़ती जा रही है कि वह जिस जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए 20-30 लिए जाते हैं यदि कोई व्यक्ति 50 रूपए का नोट दे दे तो शेष धनराशि वापस नहीं मिलती, इससे भी बड़ी हैरानी की बात यह है कि यह साफ है कि जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए जो शुल्क जमा किया जाता है उसकी रसीद आवेदन कर्ताओं को मिलनी चाहिए जो कि नहीं दी जा रही है ऐसे में जो निर्धारित शुल्क से अधिक धनराशि वह किसकी जेब में जा रही है यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है। इस पूरे मामले को लेकर पहले भी कई बार सवाल उठ खड़े हुए हैं लेकिन निगम प्रशासन अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई तक नहीं कर पाया सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब निगम के अधिकारी व जनप्रतिनिधि निगम की आय बढ़ाने को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं तो ऐसे में कई अनियमितताओं से निगम को राजस्व का चूना लग रहा है इस पर कौन आंखिर खोल कर कार्रवाई करेगा यह भी बड़ा सवाल बना हुआ है।