देहरादून। दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पूर्व सीएम और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के बीच बातचीत के बाद राजनीतिक गलियारों में प्रदेश भाजपा संगठन में बड़े फेरबदल की सुगबुगाहट होने लगी है। दबी जुबान में खुद पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता कह रहे हैं कि चुनाव मैनेजमैंट में लापरवाही भारतीय जनता पार्टी के भीतर अंर्तकलह की वजह बनता जा रहा है। चर्चा यह भी है कि संगठन की हीलाहवाली के चलते ही पार्टी के कई प्रत्याशियों को भीतरघात का सामना करना पड़ा। प्रदेश संगठन लाचार बनकर पूरे चुनाव के दौरान तमाशा देखता रह गया। जिसके चलते मतदान के बाद से पार्टी को अंदरूनी कलह का दंश झेलना पड रहा है। बताया जा रहा है कि गढ़वाल के किसी वरिष्ठ नेता की प्रदेश अध्यक्ष पद पर जल्द ताजपोशी की जा सकती है।
इसी कंडी में भाजपा अध्यक्ष ने उत्तराखण्ड भाजपा के शीर्ष नेताओं में शुमार डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को बुलाया था। चुनाव परिणामांे से पहले ही भीतरघात को लेकर भाजपा के भीतर अंर्तकलह शुरू हो गयी थी। इसके अलावा प्रदेश सगठन पर मीडिया मैनेजमैंट को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे थे। अभी दो दिन पूर्व महामण्डेश्वर गिरी महाराज ने तो सीधे पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर चुनाव मैनेजमैंट पर कई सवाल खड़े गए थे। इसके बाद अचानक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ निशंक को दिल्ली तलब किए जाने के बाद से प्रदेश भाजपा संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट महसूस होने लगी है। ऐसा माना जा रहा कि प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी गढ़वाल मंडल से किसी वरिष्ठ नेता को सौंपी जा सकती है। यदि भाजपा फिर से सत्ता में आती है तो वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है। रविवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की मुलाकात को इस कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। उत्तराखण्ड में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार में पिछले साल मार्च में नेतृत्व परिवर्तन हुआ था। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्थान पर गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके साथ ही प्रदेश भाजपा संगठन में भी नेतृत्व परिवर्तन कर दिया गया। तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को सरकार में मंत्री बनाया गया और त्रिवेंद्र सरकार में मंत्री रहे मदन कौशिक को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी गई। ऐसे में कौशिक के सामने स्वयं को नई भूमिका में साबित करने की चुनौती थी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि कौशिक के चुनाव जीतने और प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार बनने की स्थिति में उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री कुमाऊं से होंगे तो गढ़वाल मंडल से किसी वरिष्ठ नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। यदि परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो संगठन में क्षेत्रीय संतुलन साधा जाएगा।
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