देहरादून। सर्दियां शुरू हो रही हैं। इस मौसम में सेहत का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। यह मौसम सुहावना तो होता है, लेकिन ठंड के चलते तमाम बीमारियों का खतरा रहता है। आरोग्य मेडिसिटी इंडिया के संस्थापक एवं वरिष्ठ स्वास्थ्य परामर्शदाता डॉ. महेंद्र राणा के अनुसार, शीत ऋतु शुरू होने के साथ ही तापमान में गिरावट होती है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। इससे बीमार पड़ने की आशंका बहुत अधिक बढ़ जाती है। कई तरह के मौसमी एवम् संक्रमण जनित बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।
अभी दो ऋतुओं का संधिकाल चल रहा है। वर्षा ऋतु खत्म होने को है, जिसके चलते हल्की उमस है। शीत ऋतु शुरू होने को है, जिससे हवा में ठंड की घुलन भी है। ऐसे समय में हर व्यक्ति के लिए पौष्टिक आहार सेवन के साथ-साथ दिनचर्या में कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी है। डॉ. राणा के अनुसार बीमारियों से बचे रहने के लिए खाद्य पदार्थों का सही चयन करना बहुत महत्वपूर्ण है। इस मौसम में उन सभी खाद्य पदार्थों के सेवन का परहेज करना चाहिए जो सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं।
ठंडी तासीर वाले भोज्य पदार्थ जैसे नारियल पानी, छाछ , दही, आइसक्रीम, फ्रीज में रखी हुई ठंडी खाद्य वस्तुओं के अत्यधिक सेवन से बचें। अन्यथा गले की खराश, खांसी-जुखाम और बुखार जैसी बीमारियों का शिकार होना पड़ सकता है। प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों, जंक फूड और मसालेदार भोजन के अत्यधिक सेवन से त्वचा रूखी होने के कारण विभिन्न एलर्जी रोगों का सामना करना पड़ सकता है। सलाद, कच्ची सब्जियों, कोल्ड ड्रिंक्स, ज्यादा चाय कॉफी आदि के सेवन से पेट की अम्लता (एसिडिटी) बढ़ने का खतरा रहता है। मीठे एवम् अधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन से वजन बढ़ने (मोटापे) की संभावना रहती है। सर्दियों के मौसम का सबसे ज्यादा असर हृदय पर पड़ता है। कम तापमान के कारण रक्त वाहिकाओं में संकुचन होने लगता है, जिससे रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है। धीमे रक्त परिसंचरण के कारण दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। हृदय रोगी या तंत्रिकाओं की किसी कमजोरी से पीड़ित को सर्दियों में अपने आहार-विहार में विषेश सावधानी बरतनी चाहिए। सर्दियों में त्वचा के नीचे मौजूद रक्त वाहिकाएं ठंड से सिकुड़ जाती हैं, जो रक्त प्रवाह को कम करने का कारण बन सकती हैं, जिसके चलते हृदय पर रक्त पंप करने के लिए अधिक दबाव पड़ता है। इसके अलावा शरीर में खून का थक्का जमने का जोखिम भी अधिक रहता है, जिस कारण इस मौसम में हृदयाघात के साथ-साथ लकवा पड़ने के मामले अधिक देखे जाते हैं। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के रोगियों में ठंड का प्रकोप अधिक देखा गया है। इन रोगियों को अपनी शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखने का प्रयास करना चाहिए। ठंड से हवा में शुष्कता (कतलदमेे) बढ़ जाने के कारण दमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। शीत ऋतु में सबसे ज्यादा मार हमारी त्वचा पर पड़ती है। हवा की शुष्कता त्वचा की नमी कम कर देती और रूखापन आने लगता है। ठंड से बचने के लिए पूरे शरीर को गर्म कपड़ों से ढक कर रखें। ठंडे पानी की जगह हल्के गुनगुने अथवा ताम्र पात्र में रखे जल का सेवन करें। नारियल या जैतून के तेल से नियमित त्वचा को मॉइश्चराइज करें। अधिक कैलोरी वाले गरिष्ठ मसालेदार खाद्य पदार्थों से बचें। योग और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। अदरक वाली चाय और हल्दी वाले दूध का सेवन करें। सुबह धूप सेकने (ैनद इंजी) का प्रयास करें, जिससे रक्त का परिसंचरण शरीर में निर्बाध गति से होता रहे।