देहरादून। भाजपा ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को जेपीसी में भेजने का स्वागत करते हुए, बिल को वक्त की जरूरत बताया है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए, बोर्ड में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले नियमों को समाप्त करना जरूरी है, लेकिन तुष्टिकरण की नीति के तहत विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। चंद माफियाओं के समर्थन में करोड़ों मुस्लिमों के अधिकारों का हनन करने वाली कांग्रेस को अब अपनी सोच बदल की जरूरत है। सदन में पेश इस अधिनियम को उन्होंने करोड़ों मजलूम और दबंगों से पीड़ित मुसलमानों की आवाज बुलन्द करने वाला बताया। जिसमे न किसी तरह संवैधानिक अधिकार का हनन किया जा रहा है और न ही उसके किसी अनुच्छेद का उल्लघंन किया जा रहा है । एनडीए सरकार इस अधिनियम के माध्यम से किसी का हक छीनने के लिए नहीं बल्कि जिनको हक नहीं मिला, उनके लिए है जैसे महिला, बच्चे आदि। फिलहाल सर्वसम्मिति से यह विधेयक जेपीसी को भेज दिया गया है। वहीं उन्होंने विपक्ष के रुख पर आरोपों पर पलटवार करते हुए कि 2011 से अस्तित्व में आए इस कानून को आजाद भारत में 1954 में लाया गया। तब से लेकर अब तक इसमें अनेकों बार तुष्टिकरण के लिए संशोधन किया गया है, लेकिन कभी हल्ला नहीं हुआ। अब हम मुस्लिम समाज के अधिकांश तबके को न्याय और अधिकार दिलाने के लिए इसे लेकर आए हैं । संविधान का उल्लघंन तो 2013 में कांग्रेस सरकार ने किया, वक्फ बोर्ड के अधिकार को न्यायालयों पर तरजीह देकर। उन्होंने तंज किया, कांग्रेस को तो खुश होना चाहिए कि जिस मकसद के लिए वक्फ बोर्ड बनाया गया उसे हम इससे पूरा करने जा रहे हैं। और जिन सुधारों को हम लेकर आएं वे सभी तो इनकी सरकारों ने गठित सच्चर आयोग एवं अन्य कमेटियों की रिपोर्ट को लागू करते हैं।
साथ ही आरोप लगाया कि विगत दस वर्षों में लगातार व्यक्तिगत एवं संस्थागत विचार विमर्श के बाद इस संशोधन बिल को लाया गया है। आज सर्वव्यापक है कि चंद लोगों ने बोर्ड पर कब्जा किया हुआ है और करोड़ों आम मुसलमान उनके लिए एकत्र संपत्ति और दान का लाभ उन्हें कभी नहीं मिला। जिसके लिए बोर्ड की ऑडिट और अकाउंट के लिए सही तरीका अपनाना आवश्यक था । महिलाओं की भागेदारी और उच्च स्तरीय अधिकारियों का बोर्ड में होने पर विरोध कैसा। उन्होंने अफसोस जताया कि कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष चन्द लोगों की आवाज ही क्यों बुलन्द करता है। वे क्यों वक्फ बोर्ड को माफिया लोगों के कब्जे से मुक्त नहीं कराना चाहते हैं। इस बिल पर जेपीसी में पार्टियों के रुख से स्पष्ट हो जाएगा कि कौन उन्हें अधिकार नहीं देना चाहता है। लिहाजा सभी पार्टियों राजनीति से ऊपर उठकर इस बिल पर एकराय बनाने की जरूरत है।