देहरादून। गुरुदेव आशुतोष महाराज के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गंगेश्वर बजरंगदास चौराहा, सेक्टर-9, अमिताभ पुलिया के पास, गोविंदपुर, महाकुंभ मेला, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में भव्य श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया। श्रीकृष्ण कथा के अंतिम दिवस दिव्य गुरुदेव आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी आस्था भारती ने द्रौपदी के गरिमामय चरित्र का विवेचन किया। सम्पूर्ण जीवन विकट परिस्थितियों से जकड़ा रहा लेकिन फिर भी द्रौपदी इन सबसे मुक्त रही। इसका कारण थे, उसके परम सखा जगद्गुरु भगवान श्रीकृष्ण! आज हम कहते हैं कि गूगल भगवान है न, उससे पूछ लो। लेकिन गूगल भगवान हर चीज़ का समाधान नहीं दे सकता। इसके लिए आपको एक परफेक्ट मास्टर चाहिए। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने सभी श्रद्धालुओं को सद्गुरु की शरण ग्रहण करने का आवाह्न किया।
साध्वी जी ने बताया- एक मरीज स्वयं एक अच्छे डॉक्टर का पता लगाता है और फिर अपने खर्च पर उनसे उपचार करवाता है। साथ ही, उपचार हेतु अच्छा खासा शुल्क भी प्रदान करता है। परन्तु, जब किसी रोग की महामारी फैलती है, तो यह क्रम बिल्कुल उलट जाता है। तब रोगी डॉक्टर को ढूँढकर उसके पास नहीं जाते, बल्कि डॉक्टर खुद प्रभावित क्षेत्र में पहुँचता है। स्थान-स्थान पर कैंप लगाता है। घर-घर जाकर रोगियों का निःशुल्क इलाज करता है। सारी व्यवस्था स्वयं संभालता है। ठीक इसी प्रकार आज कलियुग में भी अज्ञानता की महामारी फैली हुई है। ऐसे में, हम यह प्रतीक्षा नहीं कर सकते कि अज्ञान, विकारों या माया से ग्रस्त समाज, ज्ञान या प्रभु-प्राप्ति के लिए, स्वयं आगे बढ़कर आएगा। यही कारण है कि आज “दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान” स्थान-स्थान पर सत्संग कार्यक्रम व कथाएँ आयोजित कर रहा है। दुंदुभि बजा-बजा कर, जन-जन का आह्वान कर रहा है। घर-घर जाकर ब्रह्मज्ञान का संदेश दे रहा है तथा बिल्कुल निःशुल्क रूप से ब्रह्मज्ञान की दीक्षा भी प्रदान कर रहा है। अतः इस प्रकार आज यह ज्ञान बहुत सुलभ कर दिया गया है। यह वही सनातन-शाश्वत, विशुद्ध ब्रह्मविद्या है, जो एक जीव को परब्रह्म का साक्षात्कार कराती है व जिसका पूर्ण अभ्यास उसे साक्षात् ब्रह्मस्वरूप ही बना देता है।