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उत्तराखंड में साल दर साल वहानों की संख्या में हो रहा इजाफा

देहरादून। देश और दुनिया में लगातार हो रही क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। जिसके चलते केंद्र और राज्य सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को तवज्जो दे रही है। ताकि, लगातार हो रहे क्लाइमेट चेंज को कंट्रोल किया जा सके। हर साल 26 नवंबर को सुरक्षित, सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देने को लेकर विश्व सतत परिवहन दिवस मनाया जाता है।
इसका मकसद वाहनों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम से कम करना है। यही वजह है कि उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और पर्यावरण के लिहाज से महत्वपूर्ण प्रदेश में पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देने की बात हमेशा से ही उठती रही है। बता दें कि दुनियाभर में लगातार बढ़ रही प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। जिसे न सिर्फ लोग बीमार हो रहे हैं, बल्कि पर्यावरण को भी इससे काफी ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। जिसके चलते संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 26 नवंबर को विश्व सतत परिवहन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
इसका मुख्य उद्देश्य यही था कि परिवहन को ज्यादा सुरक्षित, सस्ती, सुलभ के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को बनाने की दिशा में विचार किया जा सके। हर साल विश्व सतत परिवहन दिवस को मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। ऐसे में साल 2025 में ये दिवस मनाने के लिए श्कार्बन से स्वच्छ तक कल के लिए परिवहन में परिवर्तन थीम रखी गई है।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार बढ़ रहे वाहनों के दबाव की वजह से न सिर्फ प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, बल्कि ये पर्यावरणीय पारिस्थितिकी के लिए भी काफी खतरनाक साबित हो रही है। यही वजह है कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में साझेदारी परिवहन के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा श्रद्धालुओं को बेहतर परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराए जाने को लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में रोपवे के निर्माण पर भी जोर दिया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में लगातार बढ़ रही वाहनों की तादाद भी प्रदेश के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। इतना ही नहीं हर साल चारधाम के दौरान भी लाखों की संख्या में वाहन उच्च हिमालय क्षेत्रों तक पहुंच जाते हैं, जो पर्यावरण और ग्लेशियर के लिए काफी नुकसानदायक माना जाता है।
उत्तराखंड के लिए सिर्फ एक चुनौती यही नहीं है कि प्रदेश में लगातार वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, बल्कि हर साल लाखों की संख्या में अन्य राज्यों से भी वाहन उत्तराखंड आते हैं। वो भी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। क्योंकि, लाखों की संख्या में अन्य राज्यों से उत्तराखंड आने वाले वाहनों से भी पर्यावरण पर काफी ज्यादा असर पड़ता है। इससे भी बड़ी एक चुनौती ये है कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी वाहनों का संचालन बढ़ता जाता है। साल 2025 में चारधाम यात्रा के दौरान 5,13,207 वाहन धामों में पहुंचे। जिसमें बदरीनाथ में 2,18,500 वाहन, केदारनाथ में 13,89,54 वाहन, गंगोत्री में 91,578 वाहन और यमुनोत्री धाम में 64,175 वाहनों की आवाजाही हुई है।

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