देहरादून: उत्तराखंड में 14 हजार फुट की ऊंचाई तक बाघों की मौजूदगी के पुख्ता प्रमाण तो मिले हैं, लेकिन यहां वास्तव में इनकी संख्या कितनी है या फिर इनका आवागमन सीजनल है अथवा स्थायी, ऐसे तमाम सवालों से अब जल्द ही पर्दा उठ जाएगा। राज्य में वन महकमा पहली मर्तबा उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी बाघ आकलन कराने जा रहा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) के सहयोग से यह कार्य अगस्त से प्रारंभ होगा।
बाघ संरक्षण के मामले में कर्नाटक के बाद दूसरे स्थान पर चल रहे उत्तराखंड में कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत 13 वन प्रभागों में मुख्य रूप से इनका बसेरा है। अलबत्ता, यह बाघ संरक्षण के प्रयासों का ही प्रतिफल है कि ये अब मैदानी क्षेत्रों व फुटहिल्स से निकलकर शिखरों तक पहुंचे हैं। पिछले साढ़े तीन वर्षाे में साढ़े बारह हजार फुट की ऊंचाई पर पिथौरागढ़ के अस्कोट अभयारण्य, केदारनाथ सेंचुरी के मदमहेश्वर में 14 हजार फुट की ऊंचाई पर हिम तेंदुओं के वासस्थल में भी बाघ की मौजूदगी पाई गई। यही नहीं, 12 हजार फुट की ऊंचाई वाले खतलिंग ग्लेश्यिर तक में भी बाघों की तस्वीरें कैमरा ट्रैप में आई हैं।
हालांकि, यह सवाल अनुत्तरित है कि बाघों ने उच्च हिमालय में इन स्थलों को स्थायी बसेरा बनाया है फिर अस्थायी। इस सबको देखते हुए ही वन महकमे ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी पहली बार बाघों का आकलन कराने का निर्णय लिया। राज्य में बाघ गणना के नोडल अधिकारी अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ.धनंजय मोहन के मुताबिक इसके लिए एनटीसीए से हरी झंडी मिल चुकी है। अगस्त से एनटीसीए व ग्लोबल टाइगर फोरम के सहयोग से यह कार्य प्रांरभ होगा।
डॉ.धनंजय के मुताबिक उच्च हिमालयी क्षेत्र में बाघ आकलन बेहद दुश्कर कार्य है। इसके लिए अगस्त में पहले जानकारी जुटाई जाएगी कि कहां-कहां और किन-किन क्षेत्रों में इनकी मौजूदगी है। साथ ही इनके रूट का भी अध्ययन किया जाएगा। सभी जानकारियां हासिल होने पर बरसात के बाद बाघों के आकलन को ग्रिड बनाए जाएंगे।
कार्बेट में बरसात बाद होगी गणना
देश के अन्य राज्यों की भांति उत्तराखंड में कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत 13 वन प्रभागों में बाघ गणना का कार्य इस साल फरवरी से चल रहा है। बाघ गणना के नोडल अधिकारी डॉ.धनजंय के मुताबिक कार्बेट टाइगर रिजर्व और हरिद्वार वन प्रभाग को छोड़ बाकी हिस्सों में कैमरा ट्रैप के जरिए तस्वीरें लेने का कार्य पूरा हो गया है। कार्बेट रिजर्व और हरिद्वार प्रभाग में यह कार्य बरसात थमने के बाद प्रारंभ किया जाएगा।