उत्तराखण्ड

पहाड़ में पानी की कमी पर हाई कोर्ट गंभीर, राज्य सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल: राज्य के पर्वतीय इलाकों में पेयजल समस्या पर हाई कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार से पूछा है कि 672 गांवों में प्रतिदिन कितना पानी मुहैया कराया जा रहा है। कोर्ट ने छह जनवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है, जबकि अगली सुनवाई सात जनवरी नियत की है।

दरअसल, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव की ओर से हाई कोर्ट को पत्र भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि बागेश्वर व अल्मोड़ा जिले की यात्रा के दौरान पाया कि महिलाएं मीलों दूर से पानी ढोकर गुजारा कर रही हैं। पहाड़ी जिलों में यह समस्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। कोर्ट ने पत्र को जनहित याचिका के रूप में लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में सुनवाई हुई।

सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य में औसतन प्रति व्यक्ति 40 लीटर पानी दिया जा रहा है, जबकि 15,522 राजस्व गांवों व तोक गांवों में 20 लीटर प्रति व्यक्ति पानी मुहैया कराया जा रहा है, जबकि 672 गांवों में प्रतिव्यक्ति पांच लीटर से कम पानी मिल रहा है। खंडपीठ ने अब मामले में सख्त रवैया अपनाते हुए सरकार से पूछा है कि इन 672 गांवों में कुल कितना पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि हर नागरिक को पानी मिलना चाहिए। खंडपीठ ने सरकार से छह जनवरी तक इस मामले में जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई सात जनवरी नियत की है।

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