उत्तराखण्ड

नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती 43 मरीज फरार, 13 को पकड़ा

देहरादून। राजपुर थाना क्षेत्र के सिनौला स्थित जागृति नशा मुक्ति केंद्र का दरवाजा तोड़ कर यहां भर्ती 43 मरीज फरार हो गए। यह सूचना पुलिस को मिली तो हड़कंप मच गया। आसपास के थानों को अलर्ट करते हुए शहर की नाकेबंदी कर चेकिंग शुरू की गई, जिसमें देर रात तक 13 को पकड़ लिया गया। बाकी फरार मरीजों की तलाश के लिए सभी थाना क्षेत्रों में चेकिंग की जा रही है। गौरतलब है कि नशा मुक्ति केंद्र के सीसीटीवी कैमरे चार-पांच दिन से खराब हैं।

गत शाम साढ़े सात बजे के करीब नशा मुक्ति केंद्र के भीतर मौजूद मरीजों ने मुख्य दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। इसके बाद सामने की ओर से खुलने वाले दरवाजे को तोड़ दिया और एक-एक कर 43 मरीज बाहर निकल गए। मरीजों को इतनी संख्या में बाहर जाते देख वहां मौजूद कर्मियों व सिपाहियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन वह सभी कर्मचारियों को मारने के लिए ललकारने लगे। इससे वह पीछे हट गए।

लिहाजा सभी 43 मरीज वहां से भाग निकले। केंद्र में मौजूद कर्मियों व सिपाहियों ने इसकी सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद राजपुर, कैंट व डालनवाला पुलिस की टीमें वहां पहुंचकर भागे लोगों की तलाश में जुट गईं। इस बीच सीओ मसूरी बीएस चौहान भी केंद्र पर पहुंच गए। उन्होंने बताया कि केंद्र से भागे मरीजों की तलाश की जा रही है। पूरे शहर में चेकिंग की जा रही है। जल्द ही अन्य को भी पकड़ लिया जाएगा।

न छूटने के डर से भागने का शक

पुलिस के अनुसार नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों की ओर से कुछ दिन पहले जिला प्रशासन को शिकायत दी गई थी कि केंद्र में भर्ती लोगों को यातनाएं दी जा रही हैं। उनके साथ ठीक व्यवहार नहीं किया जा रहा है।

डीएम ने इसकी जांच सिटी मजिस्ट्रेट मनुज गोयल को सौंपी। चार दिन पूर्व उन्होंने केंद्र का निरीक्षण भी किया था। उस समय यहां 97 मरीज भर्ती थे, जिसमें 20 लोगों को काउंसलिंग के बाद परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया था।

इधर दो अवकाश के चलते मंगलवार को जब कोई काउंसलिंग के लिए नहीं पहुंचा तो मरीजों को लगा कि अब वह घर नहीं जा पाएंगे। माना जा रहा है कि यहां फंस जाने के डर से उन सभी ने यह कदम उठाया।

दो सिपाही भी थे मौजूद

यातना की शिकायत के बाद जिला प्रशासन के निर्देश पर यहां चार पुलिस कर्मियों की तैनाती भी कर दी गई थी। मंगलवार को उसमें से दो केंद्र में ही मौजूद थे, लेकिन उन्हें भी इस बात की भनक तब लगी, जब 43 मरीज वहां से भाग निकले। सिपाहियों ने मरीजों को रोकने की भी कोशिश की, लेकिन संख्या अधिक होने और मरीजों का गुस्सा देखते हुए उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़े।

55 हजार रुपये है पांच महीने की फीस

जागृति नशा मुक्ति केंद्र में किसी व्यक्ति से नशा छुड़ाने के लिए कम से कम पांच महीने रखा जाता है। इसकी फीस करीब 55 हजार रुपये होती है। मगर इसके बदले उन्हें सुविधाएं मिलने के बजाए यातनाएं मिलती हैं।

77 लोगों के लिए सिर्फ दो शौचालय

केंद्र की मौजूदा स्थिति सिर्फ इसी बात से समझी जा सकती है कि केंद्र में वर्तमान में रखे गए 77 मरीजों के लिए केवल दो शौचालय ही हैं। सीओ मसूरी ने बताया कि केंद्र की खामियों से प्रशासन को अवगत करा दिया गया है।

देखी जा रही सिपाहियों की भूमिका 

देहरादून की एसएसपी निवेदिता कुकरेती के अनुसार नशा मुक्ति केंद्र से फरार 13 लोगों को पकड़ लिया गया है। प्रथम दृष्ट्या यही प्रतीत हो रहा है कि तीन दिन से काउंसलिंग न होने से उन्हें लगने लगा था कि वह घर नहीं जा पाएंगे। ऐसे में यह कदम उठाया। केंद्र पर मौजूद सिपाहियों की भूमिका देखी जा रही है, फिलहाल उनकी ओर से अभी कोई खामी प्रकाश में नहीं आई है।

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