देहरादून। उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू का कहर बढ़ता जा रहा है। स्वाइन फ्लू के वायरस की चपेट में जहां सात और लोग आ गए, वहीं एक महिला की मौत भी हो गई। इस तरह प्रदेश में अब तक स्वाइन फ्लू पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर 161 हो गई है। इनमें 25 मरीजों की मौत हुई है।
मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती 60 वर्षीय महिला की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई है। वह मसूरी की रहने वाली थीं। इस तरह अकेले महंत इंदिरेश अस्पताल में अब तक स्वाइन फ्लू की वजह से सर्वाधिक 22 मरीजों की मौत हो चुकी है। तीन मरीजों की मौत शहर के अलग-अलग अस्पतालों में हुई है।
कुल मिलाकर दिन-प्रतिदिन स्वाइन फ्लू का वायरस कहर ढा रहा है। यूं कहा जा सकता है कि स्वाइन फ्लू स्वास्थ्य विभाग को आईना दिखा रहा है। विभागीय अधिकारी दावा करते नहीं थक रहे कि इसकी रोकथाम के लिए शुरू से ही प्रभावी कदम उठाए गए हैं।
सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों को हर अंतराल बाद जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। लोगों को भी जागरूक करने के लिए लगातार एडवाइजरी की जा रही है। दावा यह भी कि अस्पतालों में मरीजों के उपचार के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटीवायरल औषधियां उपलब्ध हैं।
वहीं, विभागीय दावों के विपरीत स्वाइन फ्लू का कहर थम नहीं रहा है। ऐसा दिन कोई नहीं जबकि इस वायरस की चपेट में कोई नया व्यक्ति नहीं आ रहा है। यहां तक कि मरीजों की मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है।
क्या है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू, इनफ्लुएंजा (फ्लू वायरस) के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। इसे स्वाइन फ्लू इसलिए कहा गया था, क्योंकि सुअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता-जुलता था। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार यह मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तीमारदारों को भी चपेट में ले लेता है। किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
नाक का लगातार बहना, छींक आना कफ, कोल्ड और लगातार खासी मासपेशियों में दर्द या अकडऩ सिर में भयानक दर्द नींद न आना, ज्यादा थकान दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढऩा गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना।
ऐसे करें बचाव
स्वाइन फ्लू से बचाव इसे नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी उपाय है। इसका उपचार भी मौजूद है। लक्षणों वाले मरीज को आराम, खूब पानी पीना चाहिए। शुरुआत में पैरासिटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। बीमारी के बढऩे पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है।