काशीपुर। सड़क हादसे में ममेरे-फुफेरे भाइयों की मौत हो गई। दोनों काशीपुर स्थित गलबलिया कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत थे। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हाउस भेज दिए। पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे परिजनों में कोहराम मचा हुआ है।
ग्राम बिजारखाता, मसवासी रामपुर उप्र निवासी राजू (19) पुत्र नरेश व मानपुर, स्वार रामपुर उप्र निवासी राजेश (28) पुत्र महावीर थाना आइटीआइ क्षेत्र के आलू फार्म स्थित गलबलिया कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर थे। दोनों की सुबह साढ़े सात बजे से ड्यूटी थी। ड्यूटी के लिए वे यूपी से ही अप डाउन करते थे।
गुरुवार सुबह छह बजे दोनों घर से ड्यूटी के लिए निकले। रास्ते में बाइक सवार से उन्होंने लिफ्ट ली। मुकुंदपुर पुल पर पहुंचते ही बाइक खराब हो गई। इसके बाद दोनों भाई सड़क किनारे बस का इंतजार कर रहे थे। काशीपुर की तरफ से जा रही महिंद्रा टीयूवी 300 संख्या यूके 06एजे 4643 के चालक ने अनियंत्रित वाहन से दोनों को टक्कर मार दी।
इससे मौके पर ही दोनों की मौत हो गई। हादसे के बाद चालक वाहन छोड़कर फरार हो गया। पुलिस ने वाहन को कब्जे में लेकर आइटीआइ थाने में खड़ा कर दिया है। वहीं मौके पर पहुंचे परिजनों का रो-रोकर बुराहाल था।
हादसे ने छीन लिया एकलौता चिराग
राजू सात बहनों का एकलौता भाई था। बहनों की धूमधाम से शादी हो सके। इसलिए छोटी उम्र में ही उसने अपने कंधों पर जिम्मेदारी उठा ली। उसे इस बात का कतई आभास नहीं था कि टीयूवी वाहन उसका काल बनकर सपनों पर पानी फेर देगी। पिता मजदूरी करते हैं। दोनों ने मेहनत मजदूरी कर एक बेटी की शादी भी कर दी है। अब परिवार बेसहारा हो चुका। पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे सभी की जुबान पर कराहट थी। सभी के मुंह से आह निकल रही थी कि अब परिवार का क्या होगा। मजदूर पिता कैसे छह बेटियों की जिम्मेदारी को निभाएगा।
दुधमुंही बच्ची भी पिता की जोह रही बाट
राजेश के एक भाई और तीन बहनें हैं। उसकी पास तीन बेटियां हैं। एक बेटी अभी एक माह की हुई है। पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे लोगों की मानें तो राजेश शाम को ड्यूटी से घर पहुंचने के बाद दुधमुंही बच्ची को बहुत दुलार करता था। इतना ही नहीं दोनों और बेटियां भी पिता के प्यार से अछूती नहीं थीं।
राजेश ड्यूटी से लौटते समय बेटियों को कुछ न कुछ खाने की चीज लेकर जाता था। बेटियों को पापा के ड्यूटी से आने का इंतजार है, लेकिन उन्हें नहीं पता कि बेकाबू वाहन पिता की मौत बन चुकी है। परिजनों की आंखों से आंसू टपक रहे थे।