देहरादून। आखिरकार कांग्रेस ने उत्तराखंड की पांच संसदीय सीटों के लिए अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए। शनिवार देर रात्रि नई दिल्ली से एआइसीसी की ओर से जारी सूची में नैनीताल सीट से पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव हरीश रावत, हरिद्वार सीट से अंबरीश कुमार, पौड़ी सीट से मनीष खंडूड़ी, अल्मोड़ा (सुरक्षित) सीट से राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा, टिहरी सीट से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को प्रत्याशी घोषित किया गया। सभी कांग्रेस प्रत्याशी 25 मार्च को नामांकन कराएंगे।
कांग्रेस को प्रत्याशियों की घोषणा में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। खासतौर पर नैनीताल और हरिद्वार सीटों पर प्रत्याशियों को तय करने में काफी वक्त लग गया। उक्त दोनों सीटों पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को लेकर पेच फंसा हुआ था। प्रदेश संगठन रावत को हरिद्वार सीट से प्रत्याशी बनाने की पैरवी कर रहा था, जबकि खुद वह नैनीताल सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक रहे।आखिरकार पार्टी हाईकमान ने हरीश रावत के फैसले पर मुहर लगा दी। उन्हें नैनीताल संसदीय सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया है। हरीश रावत को नैनीताल सीट से चुनाव लड़ाने के समर्थन में शनिवार को उत्तराखंड से कुल 11 में से आठ विधायकों ने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल से भी मुलाकात की थी। रावत को नैनीताल से हरी झंडी मिलने के बाद हरिद्वार सीट पर अंबरीश कुमार को प्रत्याशी घोषित किया गया है। नैनीताल और हरिद्वार में प्रत्याशियों की घोषणा में पार्टी हाईकमान ने हरीश रावत को ही तवज्जो दी। नैनीताल सीट पर उनका विरोध कर रही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश को अंतत: बैकफुट पर जाना पड़ा।
इससे पहले 20 मार्च को राहुल गांधी की अध्यक्षता में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राज्य की तीन सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय हो गए थे। इनमें पौड़ी गढ़वाल सीट से मौजूदा भाजपा सांसद मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवनचंद्र खंडूड़ी के पुत्र मनीष खंडूड़ी, अल्मोड़ा सीट से सांसद प्रदीप टम्टा और टिहरी सीट पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को प्रत्याशी बनाने पर सहमति बन गई थी। हालांकि उत्तराखंड की पांचों सीटों पर प्रत्याशियों का आधिकारिक एलान शनिवार देर रात्रि किया गया।
पार्टी को टिकट को लेकर सबसे अधिक मशक्कत नैनीताल और हरिद्वार सीट को लेकर करनी पड़ी है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरिद्वार सीट के बजाय नैनीताल सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। पार्टी ने उनकी मुराद पूरी कर दी। हरिद्वार सीट पर कांग्रेस ने अंबरीश कुमार पर दांव खेलना मुनासिब समझा है।
ये हैं प्रत्याशी
- हरीश रावत (नैनीताल )
- प्रीतम सिंह (टिहरी)
- अंबरीश कुमार (हरिद्वार )
- मनीष खंडूड़ी (पौड़ी )
- प्रदीप टम्टा (अल्मोड़ा)
नैनीताल सीट से प्रतिनिधित्व करने का सोच कर ही मैं रोमांचित हूं
हरीश रावत (पूर्व मुख्यमंत्री व नैनीताल सीट से कांग्रेस प्रत्याशी) का कहना है कि पार्टी ने मुझे नैनीताल सीट से चुनाव लड़ने के निर्देश दिए हैं, इस सीट से प्रतिनिधित्व करने का सोच कर ही मैं रोमांचित हूं, स्वर्गीय एनडी तिवारी जी सरीखे कई बड़े व्यक्तित्व इस लोकसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, मेरे सभी प्रतिद्वंद्वी मुझ से अधिक योग्य हैं। चुनाव में सद्भावना का वातावरण बनाकर हम आगे बढ़ेंगे। कुलदेवता मेरी मदद करें।
प्रदीप टम्टा प्रोफाइल
- नाम: प्रदीप टम्टा
- पिता का नाम: गुसाई राम
- माता का नाम: पार्वती देवी
- जन्म तिथि: 16 जून 1958
- उम्र: 59 वर्ष
- पत्नी का नाम: रेनू टम्टा
- पत्नी का व्यवसाय: संस्कृत की प्रवक्ता
- शैक्षिक योग्यता: एमए बीएड एलएलबी
- दो पुत्रिया है
- उत्तराखंड जन संघर्ष वाहिनी से सामाजिक क्षेत्र में पदार्पण।
- कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति में प्रवेश
- अल्मोड़ा के सोमेश्वर सीट से विधायक चुने गए
- 2009 में अल्मोड़ा क्षेत्र से सांसद चुने गए
- 2014 में भाजपा के अजय टम्टा से चुनाव हारे
- वर्तमान में राज्यसभा सांसद प्रीतम सिंह का प्रोफाइल
- नाम: प्रीतम सिंह
- जन्मतिथि: 4 नवंबर 1958
- पार्टी का नाम: कांग्रेस
- शिक्षा: स्नातक
- व्यवसाय: राजनीति
- वैवाहिक स्थिति: विवाहित
- संतान: एक बेटा व एक बेटी
- स्थाई पता: गांव बृनाड़, पोस्ट- बृनाड़, जौनसर बावर, तहसील त्यूणी, जिला देहरादून
- राजनीति में पदार्पण: 1988 में चकराता ब्लाक के प्रमुख बने
- 1993 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में भी चुने गए
- उत्तराखंड बनने के बाद 2002, 2007, 2012 व 2017 में विधायक चुने गए।
- वर्ष 2002 में वे उत्तराखंड के पंचायती राज, ग्रामीण इंजीनियरिंग, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, खेल और युवा कल्याण विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे।
- वर्ष 2012 में वह उत्तराखंड के गृह, ग्रामीण विकास, राज, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, लघु सिंचाई और पिछड़ा क्षेत्र विकास के कैबिनेट मंत्री भी रहे। पूर्व मुख्यमंत्री और पांच बार के सांसद हरीश रावत का राजनीतिक जीवनराजनीतिक रूप से गिरना और गिरकर फिर से उठ खड़े होना पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की फितरत है। उन्होंने अपने 40 साल के राजनीतिक जीवन में इसे कई बार दोहराया है। 27 अप्रैल 1948 को मनोहर मनोहर नारी गांव अल्मोड़ा के राजपूत परिवार में जन्मे हरीश रावत की गिनती जमीन से जुड़े नेताओं में होती है। उन्होंने 1980 में स्वर्गीय संजय गांधी की टीम के सदस्य के रूप में संसद में कदम रखने से पहले गांव से लेकर जिला स्तर की राजनीति में काफी सक्रियता दिखाई। उन्होंने इस दौरान कई श्रमिक संगठनों में महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी भी निभाई और 1980 में भाजपा के बड़े नाम मुरली मनोहर जोशी को अल्मोड़ा से पटखनी देकर तहलका मचा दिया। यह उनकी पहली संसद यात्रा थी। इसके बाद उन्होंने आठवीं लोकसभा 1984, नवीं लोकसभा 1989 में भी मुरली मनोहर जोशी को हराया। 1989 वह दौर था जब भाजपा लालकृष्ण आडवाणी के राम मंदिर आंदोलन की रथयात्रा के साए में चुनाव लड़ रही थी। इसके बाद रावत की राजनीतिक किस्मत में पलटा खाया और 1991 से लेकर 1999 तक लगातार 4 चुनाव भाजपा प्रत्याशी से हारे। 1991 में उन्हें भाजपा के जीवन शर्मा और इसके बाद 1996, 1998, 1999 में बच्ची सिंह रावत ने लोकसभा चुनाव में उन्हें हराया
लगातार हो रही इन हारों ने हरीश रावत को राज के साथ साथ केंद्र की कांग्रेस राजनीति में भी हाशिए पर ला दिया। उनकी किस्मत ने 2000 में उत्तराखंड के उत्तर प्रदेश से अलग होने पर पलटा खाया और पार्टी संगठन ने उन्हें पार्टी प्रदेश पार्टी अध्यक्ष के रूप में मनोनीत किया। रावत ने इस दौरान अपने जुझारू पन से उत्तराखंड में पार्टी संगठन को खड़ा किया और उस में नई जान फूंक दी। 2002 में वह यशपाल आर्य की जगह राज्य सभा में बतौर सांसद पहुंचे। यह चौथी बार था जब उन्होंने संसद में जगह बनाई। 2009 में उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में परिवर्तन करते हुए हरिद्वार से दांव आजमाया और भाजपा के स्वामी यतींद्रानंद तीन लाख तीस हजार से अधिक मतों से हराकर पांचवी दफे संसद में जगह बनाई। पार्टी ने उनकी जीत को सम्मान दिया और पहले 2009 से 2011 तक श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में राज्य मंत्री और 2012 से 2014 तक जल संसाधन कैबिनेट मंत्री का पद दिया।
2013 में केदारनाथ में आई आपदा के बाद कांग्रेस संगठन ने 2014 में विजय बहुगुणा को हटाते हुए उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा। हालांकि, इसे लेकर कांग्रेस के भीतर जमकर विद्रोह हुआ पर पार्टी संगठन ने किसी की एक न सुनी। रावत 2017 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे, रावत ने धारचूला से भाजपा विधायक की सीट खाली करा उपचुनाव जीत 2014 में राज्य विधानसभा में अपनी जगह बनाई थी।
इस दौरान 2016 में पार्टी के 9 विधायकों द्वारा भाजपा के पक्ष में पाला बदलकर लेने से वह कई महीने तक संकट में रहे। भाजपा ने उनकी सरकार गिरा दी, लेकिन नैनीताल हाई कोर्ट के माध्यम से दोबारा मुख्यमंत्री बने। विद्रोह करने वाले सभी नौ विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया और 2017 में रावत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। रावत ने 2017 विधानसभा चुनाव में दो जगह हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से अपनी किस्मत आजमाइ परवाह दोनों ही जगह भाजपा प्रत्याशियों के हाथों पराजित हुए। हरिद्वार ग्रामीण में भाजपा के स्वामी यतीश्वानंद ने और किच्छा से भाजपा के राजेश शुक्ला ने उन्हें हराया। दोनों ही जगह हरीश रावत विधानसभा चुनाव मतों के हिसाब से भारी अंतर से हारे। इसके बाद कुछ समय वह राजनीतिक तौर पर नेपथ्य में चले गए पर पार्टी संगठन ने उन्हें राष्ट्रीय महामंत्री बनाकर उन्हें फिर से सक्रिय कर दिया। हरीश रावत ने 2019 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर ताल ठोंकी है।
मनीष खंडूड़ी
मनीष खंडूड़ी सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी (सेवानिवृत) के बेटे हैं। पेशे से पत्रकार और आइटी जानकार मनीष फेसबुक इंडिया के न्यूज पार्टनरशिप के हेड हैं। उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड, बिजनेस वर्ल्ड सरीखों पत्र-पत्रिकाओं के लिए पत्रकारिता की और सीएनएन के डिजिटल संस्करण से भी जुड़े हैं। वो शिकागो के कैलाग स्कूल आफ मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं। हाल ही में देहरादून में हुई राहुल गांधी की जनसभा में वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और पौड़ी सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं।
अमरीश कुमार का प्रोफाइल
- नाम: अमरीश कुमार।
- जन्म: 1948 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार में जन्म लिया।
- निवासी: हरिद्वार के स्थाई निवासी।
- शिक्षा: एमए, एलएलबी।
- राजनीतिक सफर
- कांग्रेस से जुड़ाव 1971 युवक कांग्रेस के सदस्य बने
- 1977 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हरिद्वार में जनसभा का आयोजन कराया
- विभिन्न मजदूर संगठनों से परोक्ष वह परोक्ष रूप से जुड़े रहे
- पिछले 45 वर्षों से हरिद्वार जिले और आसपास के इलाकों में विभिन्न मजदूर आंदोलनों के संयोजक रहे
- शहर युवक कांग्रेस के अध्यक्ष शहर किसान कांग्रेस के अध्यक्ष और शहर कांग्रेस के महामंत्री
- 1996 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में निर्वाचित सदस्य
- 2002 और 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ा, 2007, 2012 और 2017 में हरिद्वार से विधानसभा चुनाव में भाग्य अजमाया, लेकिन असफल रहे।
- वर्ष 2000 में उत्तराखंड अंतरिम विधानसभा के अधिष्ठाता मंडल के सदस्य, लोक लेखा समिति के सभापति और नियम समिति के सदस्य
- 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के शासन के दौरान कांग्रेस के खिलाफ हो रही कार्रवाईओं और पूर्व प्रधानमंत्री कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के विरोध में लगातार आंदोलन और जेल यात्रा
- वर्तमान में ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटर कांग्रेस विचार कमेटी
- सदस्य उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी
- चेयरमैन उत्तराखंड कांग्रेस मीडिया कमेटी