देहरादून। प्रदेश की भाजपा सरकार महकमों के गैर जरूरी खर्चों यानी फिजूलखर्ची पर रोक लगाएगी। सरकार ने नए वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट खर्च में मितव्ययता की सख्त हिदायत दी है। बजट का समय पर इस्तेमाल हो, इसके लिए वेतन, महंगाई भत्ते समेत वचनबद्ध मदों और अवचनबद्ध मदों का बजट जारी करने का अधिकार प्रशासकीय महकमे के सुपुर्द किया गया है।
नए वाहनों की मनमाने ढंग से खरीद पर अंकुश लगाते हुए प्रत्येक मामले में वित्त की अनुमति लेना जरूरी होगा। वहीं पांच करोड़ से अधिक के निर्माण कार्यो का ऑडिट होगा। प्रदेश के सरकारी महकमों में दिव्यांगों की आवाजाही आसान बनाने को सरकार ने अहम प्रावधान किया है।
लघु निर्माण कार्य के बजट में न्यूनतम 10 फीसद धनराशि दिव्यांगजनों के कल्याण और सुगम आवाजाही के बंदोबस्त पर खर्च की जाएगी। अगले वित्तीय वर्ष के बजट खर्च के संबंध में सरकार ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों और विभागाध्यक्षों को शुक्रवार को निर्देश जारी किए। वित्त सचिव अमित नेगी की ओर से जारी आदेश में सरकारी महकमों को वित्तीय अनुशासन की खास हिदायत दी गई है।
सभी प्रशासकीय विभागों को कहा गया है कि मितव्ययता के दायित्व को निभाएं। इसके लिए उन्हें शासनादेश के मुताबिक सॉफ्टवेयर से केंद्रीय स्तर पर एक विशिष्ट नंबर लेना होगा। बिना इस नंबर के किसी भी आदेश के आधार पर कोई आहरण एवं खर्च नहीं किया जाएगा। राज्य आकस्मिकता निधि के इस्तेमाल और चालू निर्माण कार्यो के लिए बजट जारी करने को जवाबदेही से जोड़ा गया है।
राज्य आकस्मिकता निधि से अग्रिम धनराशि सिर्फ अप्रत्याशित खर्च के लिए ली जा सकेगी। यही नहीं, इस धनराशि की प्रतिपूर्ति के लिए संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव या सचिव जवाबदेह होंगे। वहीं चालू निर्माण कार्यो की धनराशि 25 करोड़ से ज्यादा होने पर उसे तीन बराबर किस्तों में जारी किया जाएगा। दूसरी किस्त तब ही जारी होगी, जब पहली किस्त का 90 फीसद उपयोगिता प्रमाणपत्र दिया जाएगा। लंबे समय से निर्माणाधीन कार्यो के लटकने पर सख्ती बरती गई है।
इसके तहत पहले स्वीकृत प्रत्येक निर्माण कार्य का नियमित व सघन अनुश्रवण व समीक्षा की जाएगी। साथ ही महकमों को निर्माण कार्यो को समय पर पूरा करने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने होंगे, ताकि निर्माण कार्यो में लेटलतीफी के साथ ही निर्माण लागत में इजाफा न हो सके।