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राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की इमरजेंसी ही आपात स्थिति में

देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की इमरजेंसी ही खुद आपात स्थिति में आ गई है। एक जून से यहां बस दो इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (ईएमओ) रह जाएंगे। बता दें, अस्पताल में ईएमओ के पांच पद स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष चार चिकित्सक तैनात हैं। बहरहाल अस्पताल प्रशासन यह दावा कर रहा है कि इमरजेंसी में कोई दिक्कत नहीं होगी। जेआर की इमरजेंसी ड्यूटी लगाई जाएगी।

राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पातल में मरीजों को एक जून से परेशानी झेलनी पड़ सकती है। चिकित्सालय के डॉ. नवनीत बेदी, डॉ. एचएस भाटिया, डॉ. नरेश और डॉ. मुकेश उपाध्याय इमरजेंसी का संचालन करते हैं।

डॉ. बेदी उप्र कैडर के हैं और उन्हें उप्र के लिए रिलीव किया जा रहा हैं, जबकि डॉ. एचएस भाटिया ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफे में अल्प मानदेय का हवाला दिया है। डॉ. भाटिया ने बुधवार को इस्तीफा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना को सौंप दिया। उन्होंने कहा है कि नई नियुक्ति के तहत ईएमओ का मानदेय 76 हजार होना चाहिए था। इस मानदेय में कार्य करना संभव नहीं है। इस स्थिति में चिकित्सालय की इमरजेंसी में अब केवल दो ईएमओ ही रह जाएंगे।

24 घंटे होता है संचालन 

इमरजेंसी सुविधा के अनुसार पांच पीएमएस चिकित्सक और चार डॉक्टर आपातकालीन सेवा के लिए रखे जाने आवश्यक हैं। कुल नौ डॉक्टर का इमरजेंसी में होना आवश्यक है। वहीं, दून चिकित्सालय की इमरजेंसी में अब तक चार ईएमओ थे। जिनके साथ जेआर की ड्यूटी लगाई जा रही थी। यह लोग जैसे-तैसे व्यवस्था को संभाल रहे थे। पर अब दो ईएमओ के चले जाने से व्यवस्था भगवान भरोसे है।

सात माह के भीतर ईको मशीन दोबारा ठप

दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल की ‘बूढ़ी’ मशीनें न केवल मरीज बल्कि अस्पताल प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गई हैं। अस्पताल में आए दिन मशीनें खराब होने से मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इस बार ईको मशीन खराब हुई है।

इस मशीन को अस्पताल प्रबंधन ने अभी सात माह पहले ही रिपेयर कराया था। जिस पर तीन लाख रुपये का खर्चा आया था। अस्पताल में हृदय रोग का इलाज पहले से ही नहीं हो रहा है, लेकिन अब जाच भी बंद हो गई है। हॉस्पिटल में करीब दो वर्ष से कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है।

कुछ समय से दिल्ली से मैक्स अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलिस्ट डॉ. राहुल चंदोला अस्पताल में हर शनिवार को निश्शुल्क ओपीडी कर रहे हैं। ऐसे में ईको मशीन का खराब होने से मरीजों के लिए परेशानी खड़ी हो गई है। बता दें, यह मशीन तकरीबन 20 साल पुरानी है। सात माह में यह दूसरी बार खराब हुई है। जिससे अस्पताल प्रशासन के सामने भी मुश्किल खड़ी हो गई है।

आनन-फानन अस्पताल प्रशासन ने जाच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। इधर कंपनी ने मशीन फिर से रिपेयर करने के लिए एडवास मांगा है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि पहले इस बात की जांच होगी कि जो रिपेयरिंग कराई गई थी, उसमें क्या कमी रह गई। तब तक मशीन को रिपेयर करने के लिए कोई भुगतान नहीं होगा।

पुरानी मशीनें बनी जंजाल 

अस्पताल में पुरानी मशीनें आए दिन परेशानी खड़ी कर रही हैं। बीते 25 फरवरी से अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन खराब पड़ी है। यह मशीन भी 15 वर्ष पुरानी है, जिसके बदले नई मशीन खरीदने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा एमआरआइ मशीन भी पुरानी हो गई है, जिसके विकल्प के तौर पर नई मशीन खरीदने का प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है।

इतना ही नहीं डायलिसिस की 2004 में खरीदी गई मशीनें भी कई बार ठप हो चुकी हैं। इन मशीनों के रिपेयर पर लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं। नई मशीनों का प्रस्ताव अस्पताल प्रशासन ने नई मशीने खरीदने के लिए प्रस्ताव तैयार किया है। जिसमें तीन पोर्टेबल एक्स-रे मशीन, 64 स्लाइस की सीटी स्कैन मशीन, तीन सामान्य एक्स-रे मशीन, दो सीआर-कंप्यूटर रेडियोग्राफी मशीन शामिल है।

कोरोनेशन में 100 बेड के अस्पताल का निर्माण शुरू

कोरोनेशन चिकित्सालय में 100 बेड के अस्पताल का कार्य आरंभ हो गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक जनवरी को इसका शिलान्यास किया था। सीएमएस डॉ. बीसी रमोला व स्टाफ ने यहां भूमि पूजन किया। कार्यदायी संस्था को निर्देश दिए कि सीएम के निर्देशों के तहत निर्माण कार्य तय समय में पूरा करें। निर्माण कार्य इस तरह से करें कि मरीजों को किसी तरह की दिक्कत न पेश आए। पोस्टमार्टम समेत अन्य कार्यों में भी कोई व्यवधान न पड़े। अस्पताल निर्माण का काम पूरी तरह से गुणवत्ता के साथ किया जाए।

विदित हो कि अस्पताल में इमरजेंसी व आइसीयू समेत कुल 136 बेड होंगे। जिसमें 76 जनरल वार्ड, 24 बर्न वार्ड, 11 आइसीयू बेड, 9 बेड का रिकवरी वार्ड और 16 इमरजेंसी बेड व 4 ऑपरेशन थियेटर होंगे। यह अत्याधुनिक व पूरी तरह से कम्पयूटराइच्ड होगा।

अस्पताल में एमआरआइ, सीटी स्कैन, एक्स रे, ब्लड बैंक, ब्लड सैंपल आदि की भी सुविधाएं होगी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि 23 जून 2020 को यह अस्पताल किसी भी स्थिति में जनता के लिए खोल दिया जाएगा।

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