पौड़ी।गढ़वाल कमिश्नरी पौड़ी के 50 साल पूरे होने पर पौड़ी में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन और कैबिनेट बैठक की जा रही है। कैबिनेट में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के गृह जिले में सर्वाधिक हुए पलायन पर गंभीरता से मंथन होने की उम्मीद है। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में गहराती बेरोजगारी की समस्या से निजात दिलाए जाने पर भी फोकस रहने की उम्मीद है।
साल 1969 में कुमांऊ मण्डल से पृथक कर गढ़वाल मंडल को स्थापित किया गया था। तब गढ़वाल कमिश्नरी का मुख्यालय पौड़ी को बनाया गया। गढ़वाल की विकट समस्याओं से निजात दिलाने के लिए बनाई गई गढ़वाल कमिश्नरी ने इन 50 सालों में 31 आयुक्तों को भी देखा। जिसमें सबसे पहले आयुक्त एससी सिंघा तो 31वें और मौजूदा आयुक्त डा. बीवीआरसी पुरुषोत्तम हैं। आयुक्तों के कार्यकाल को देखा जाए तो सर्वाधिक लंबे समय तक गढ़वाल आयुक्त सुभाष कुमार रहे। जो कि 2001 से लेकर 2008 तक गढ़वाल कमिश्नर रहे।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन की जन्मस्थली पौड़ी में राज्य बनने के बाद सर्वाधिक उपेक्षा झेली। राज्य में पौड़ी अकेला ऐसा जिला है जिसने सूबे को तीन-तीन मुख्यमंत्री दिए। मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के गृह जिले में सर्वाधिक पलायन हुआ है। पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार अकेले पौड़ी जिले में अभी तक 341 गांव खाली हो चुके हैं।