देहरादून(UK Review) पिछले 13 साल से परिजनों के बारे में बेखबर बिहार के शीवाजन के लिए एसडीआरएफ जवान कुलदीप सिंह देवदूत बनकर आए। कुलदीप के अथक प्रयास के बाद शीवाजन अब परिजनों से मिल सकेगा। अक्सर आपने सुना होगा कि आपदा में कोई अपनों से बिछड़ गया, लेकिन यहां आपदा ही बिहार के एक लड़के के लिए उसके घरवालों से मिलने की वजह बन गई। 13 वर्ष पूर्व अपनों से बिछुड़े बिहार निवासी शीवाजन की, जो दस साल की उम्र में बिहार से कुछ श्रमिकों के साथ काम की तलाश में हिमाचल प्रदेश आया था। वहां सभी श्रमिक सेब की पैकिंग का काम करने लगे, लेकिन बदकिस्मती से एक दिन अन्य श्रमिकों की सेब बागान मालिक से तकरार हो गई और वे शीवाजन को वहीं छोड़ भाग लिए। तब से उसका कोई अता-पता नहीं था। पिछले हफ्ते आराकोट में आपदा आई तो एसडीआरएफ टीम 20 अगस्त को गांव पहुंची। यह टीम एक-एक घर से समस्या पूछ रही थी। शीवाजन वहां अलग-थलग बैठा था। फिर लोगों ने एसडीआरएफ जवान कुलदीप को इस बारे में बताया। कुलदीप ने पूछा तो शीवाजन ने गांव का नाम बतरजी और माता-पिता का नाम कृष्ण लाल और सरिता देवी बताया। यह भी कहा कि उसके गांव के पास से जहाज उड़ते हैं। कुलदीप ने इस आधार पर गूगल के जरिये बिहार के एयरपोर्ट और गांव छाने और आखिरकार पांच दिन की मेहनत रंग ला गई। एसडीआरएफ जवान कुलदीप को जब मिलता जुलता बजेडी गांव का पता चला तो उन्होंने बिहार के पुलिस थानों से संपर्क किया। परिजनों ने व्हाट्सएप के जरिए भेजी फोटो से शीवाजन को पहचान लिया। शीवाजन की मां फूला देवी और पिता कृष्णा मांझी हैं। सात साल पहले ही कृष्णा मांझी की मौत हो चुकी है। अब परिजन तीन-चार दिन में शीवाजन को लेने देहरादून आ रहे हैं। इधर, एसडीआरएफ कमांडेंट तृप्ति भट्ट ने जवान कुलदीप को 2,500 का नकद इनाम देने का ऐलान कर दिया है।
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