उत्तराखण्ड

एसजीआरआर पीजी कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव में सक्षम गु्रप के प्रत्याशी जीते

देहरादून। एसजीआरआर पीजी कॉलेज में इस बार भी अभाविप को भी मुंह की खानी पड़ी है। यहां छात्र राजनीति में सक्षम नाम से एक नए दल का उदय हुआ  है, जिसे किसी और ने नहीं बल्कि अभाविप से अलग हुए छात्रों ने ही खड़ा किया। इन्हीं की एका ने पिछले साल भी अभाविप को जमीन दिखाई थी। इस बार एनएसयूआइ के साथ हुए पदों के बंटवारे ने इनकी ताकत और बढ़ा दी। जिससे पूरा राजनीतिक समीकरण सक्षम और एनएसयूआइ के इर्द-गिर्द आकर सिमट गया। आर्यन का भी सफाया हो गया है।  एसजीआरआर पीजी कॉलेज में सोमवार को हुए मतदान में 1627 मतदाताओं में से 1088 (66.87 फीसद) ने मतदान किया। मतदान शांतिपूर्ण रहा। अपराह्न मतगणना शुरू हुई, शाम को परिणाम जारी किए गए। मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ. प्रदीप सिंह ने बताया कि कॉलेज में छह पदों के लिए 14 प्रत्याशी मैदान में थे। परिणाम घोषित किए जाने के बाद विजेता छात्र संघ पदाधिकारियों को शपथ ग्रहण कराई गई। मतदान के लिए कॉलेज को चार जोन में बांटा गया था। इनमें दो जोन छात्राओं के लिए थे। अध्यक्ष पद पर सक्षम ग्रुप के शुभम बंसल जीते। उपाध्यक्ष पद पर सक्षम के ही ओशिन कुनवाल और महासचिव पद पर विश्वनाथ रमन बुडाकोटी जीते। सह सचिव पद पर एनएसयूआइ के मोहम्मद अजहर सैफी और कोषाध्यक्ष पर सक्षम ग्रुप की मेघा भट्ट जीतीं। परिणाम घोषित होने से पहले ही अध्यक्ष पद पर आगे चल रहे शुभम बंसल के समर्थकों ने कॉलेज के बाहर जश्न शुरू कर दिया था। इस दौरान छात्र ढोल की थाप पर जमकर थिरके। जीत की घोषणा होते ही परिसर नारों और ढोल की थाप से गूंज उठा। विजयी छात्रों व उनके समर्थकों ने कॉलेज के भीतर ही जीत का जश्न मनाया। वहीं, हारने वाले प्रत्याशी और समर्थकों के चेहरे लटके रहे। पिछले साल की तुलना में मतदान प्रतिशत इस बार करीब तीन फीसदी कम रहा। गत वर्ष तकरीबन 70 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। यह बात अलग है कि वर्ष 2017 व 2018 
की तुलना में मत प्रतिशत अभी भी बेहतर है। क्योंकि तब यह क्रमशरू 45.25 व 58.57 प्रतिशत रहा था। छात्रसंघ चुनाव में उम्मीदवार को नकारने वाले मतदाता भी कम नहीं थे। नोटा का विकल्प भी उन्होंने खूब इस्तेमाल किया। सह सचिव पद पर सर्वाधिक 87 छात्र-छात्राओं ने नोटा का विकल्प चुना। जबकि सबसे कम नोटा का इस्तेमाल महासचिव पद पर हुआ। इस पद पर 4 छात्र-छात्राओं ने नोटा का विकल्प चुना। कोषाध्यक्ष पद पर 58, उपाध्यक्ष पद पर 39 विवि प्रतिनिधि के पद पर 35 और अध्यक्ष पद पर 10 ने नोटा का विकल्प चुना।  

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