देहरादून। छात्रवृत्ति घोटाले में फर्जी दस्तावेजों से अपने बच्चों को छात्रवृत्ति दिलाने के आरोप में घिरे सरकारी कर्मचारी-अफसरों के मामले की नए सिरे से जांच होगी। कुछ अभिभावकों ने खुद के सेवानिवृत्त होने के चलते छात्रवृत्ति लेने की बात कही है। डीआईजी ने मुकदमे में अग्रिम कार्रवाई पर जांच के बाद ही कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि सहायक समाज कल्याण अधिकारी मीनाक्षी उपाध्याय ने राजपुर थाने में बलदेव सिंह तोमर पुत्र रतन सिंह निवासी भटोली नैनबाग टिहरी, मोहन सिंह पुत्र रतन सिंह निवासी ग्राम चिताड़ मरलव्यू कालसी और सरदार सिंह पुत्र सब्बल सिंह निवासी कोटी कनारसर तहसील त्यूणी, रायपुर थाने में गोपाल सिंह पंवार पुत्र स्व. धर्मसिंह निवासी न्यू जौनसारी कालोनी डॉक्टर गंज विकासनगर, सहसपुर थाने में अनंतराम पुत्र वीर सिंह निवासी न्यू उत्तरांचल कालोनी विकासनगर और मायाराम शर्मा निवासी त्यूणी, प्रेमनगर थाने में अमर सिंह पुत्र रतन सिंह निवासी ग्राम लुथेरा खत बहलाड कालसी, डोईवाला कोतवाली मेंमदन सिंह तोमर निवासी समाल्टा कालसी आदि समेत नौ लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया है। जांच में यह सामने आया था कि सरकारी सेवा में होने के दौरान नौ लोगों ने अपने बच्चों के नाम पर छात्रवृत्ति हासिल की। डीआईजी ने बताया कि कुछ लोगों ने खुद के सेवानिवृत्त होने की बात कही है। उनका तर्क है कि उनकी वार्षिक आय ढाई लाख रुपये से कम है। इन बिंदुओं को भी जांच में शामिल कर लिया गया है। बताया कि मामले की दुबारा जांच की जा रही है। बताया कि अधीनस्थों को बताया गया है कि इस मामले में अग्रिम कार्रवाई करने से पहले जांच कर कार्रवाई करें।