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सूबे की 310 ग्राम सभाओं में पंचायतों का गठन नहीं

देहरादून। उत्तराखंड में बड़ी संख्या में प्रवासियों की वापसी होने लगी है। अभी तक करीब एक लाख प्रवासियों की घर वापसी हो चुकी है और इससे भी अधिक प्रवासियों की आने वाले दिनों में लौटने की उम्मीद है। राज्य सरकार ने अपना अनुमान लगाया है कि आने वाले दिनों में उत्तराखंड में बुरी से बुरी स्थिति में कोरोना संक्रमितों का आंकडा 25 हजार तक पहुंच सकता है। इसके मद्देदनजर सरकार अलर्ट मोड पर है और अपनी व्यवस्थाओं को दुरूस्त कर रही है।
प्रदेश भर में घर लौट रहे प्रवासियों को होम क्वारंटीन किया जा रहा है या फिर गांव के स्कूल या पंचायत घर में ठहराया जा रहा है। प्रदेश की सात हजार से अधिक ग्राम सभाओं में ऐसे 15 हजार क्वारंटीन सेंटर बनाए गए हैं। इन क्वारंटीन सेंटरों में आधार भूत सुविधाएं जुटाने से लेकर लोग क्वारंटीन पीरियड में कोरोना एडवायजरी का पालन करें। इसकी जिम्मेदारी ग्राम प्रधान को सौंपी गई है। लेकिन, उत्तराखंड में 310 ग्राम सभाएं ऐसी हैं, जहां ग्राम पंचायतों का गठन नहीं हो पाया। अर्थात यहां ग्राम प्रधान नहीं हैं। बीते साल हुए पंचायत चुनाव में 105 ग्राम सभाओं में प्रधान पद के लिए कोई प्रत्याशी खड़ा ही नहीं हुए थे। ऐसे में करीब 205 ग्राम सभाओं में कोरम पूरा न हो पाने के कारण प्रधानों को शपथ नहीं दिलाई जा सकी। प्रधान अपना कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाए। इस दौरान इन ग्राम पंचायतों में उपचुनाव कराए जाने थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण ये भी संभव नहीं हो पाया। सरकार के सामने चुनौति यह है कि इन 310 ग्राम सभाओं में प्रधान की अनुपस्थिति में प्रवासियों के क्वारंटीन का जिम्मा कौन संभाले। इसके लिए पंचायती राज निदेशालय ने भी अब उप चुनाव होने तक यहां प्रशासक बैठाने का फैसला किया है। पंचायती राज विभाग के अपर सचिव हरीश चंद्र सेमवाल का कहना है कि इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है। अगले एक दो दिन में अनुमति मिलते ही प्रशासकों की नियुक्ति शुरू कर दी जाएगी।

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