देहरादून। मौजूदा समय में उत्तराखंड में निर्विवाद व स्वच्छ छवि के आलाधिकारी की सख्त जरूरत है। नए मुख्य सचिव को लेकर जनता एक नई पहल की उम्मीद में है। किसी भी विवादित चेहरे को लेकर जनता में अभी से ही प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को उत्तराखंड के हित में सर्वमान्य अधिकारी का चुनाव करना चाहिए। मौजूदा मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के आगमन का प्रत्येक राज्यवासी ने खुलकर स्वागत किया था। मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र रावत को भी जीरो टॉलरेन्स का नारा बुलंद करते रहे हैं।नियमों को शिथिल करते हुए बेहतर व ईमानदार अधिकारी के चयन में उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
इस पद के योग्य अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का चयन पूरे प्रदेशवासियों को सर्वमान्य होगा। राधा रतूड़ी की ईमानदारी व स्वच्छ छवि किसी से छुपी नही है। भाजपा के प्रभावशाली नेता केंद्र को इस नाम पर राजी करने में सक्षम हैं। एक योग्य महिला अधिकारी को शासन का मुखिया बनाने से पूरे देश में नारी वर्ग का सम्मान भी आसमान छुएगा। लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी की उत्तराखंड से जुड़ी टीम से अपेक्षा की जाती है कि राज्य को इस समय कर्मठ, योग्य व ईमानदार छवि के आलाधिकारी की सख्त जरूरत है। एक महिला के मुखिया बनने से पहाड़ की नारी से जुड़ी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर भी हल किया जा सकेगा। यह समय की मांग भी है। देश के कर्णधारों ने समय-समय पर उम्दा अधिकारियों के चयन में कई बार वरिष्ठता की अनदेखी भी की है। यहां यह भी याद दिला दें कि दो साल पहले मई 2018 में केंद्र सरकार ने विशेष मंजूरी देते हुए राधा रतूड़ी को पद्दोन्नति देते हुये अपर मुख्य सचिव बनाया था। यह निसँवर्गीय पद विशेष तौर पर राधा रतूड़ी के लिए ही सृजित किया गया था। जबकि उस समय उतराखण्ड में अपर मुख्य सचिव के चार पद थे। इन पदों पर आईएएस अधिकारी उत्पल कुमार,रामास्वामी, ओमप्रकाश व डॉ रणवीर सिंह मौजूद थे। बाद में रणवीर सिंह के अवकाश ग्रहण करने के बाद निसँवर्गीय पद स्वत: ही समाप्त हो गया था। उत्तराखंड के संदर्भ में मोदी सरकार की अग्निपरीक्षा काल शुरू हो चुका है। ईमानदार, योग्य व स्वच्छ छवि के मुखिया की तलाश में जनता भी है।