वरिष्ठ पत्रकार अविकाल थपलियाल की कलम से
-कोरोनेशन स्टाफ ने प्रमुख अधीक्षिका को लिखा पत्र
-कोविड नोडल अधिकारी की कार्यशैली पर निशाना
-कोरोनेशन में संक्रमण की आशंका जताई
-बीमार भाई के उपचार में दून अस्पताल की लापरवाही
कोविड पॉजिटिव लड़की के दून अस्पताल से डिस्चार्ज के बाद कोरोनेशन अस्पताल पहुंचने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। दून अस्पताल का टेक्निकल झूठ हजम करने के मूड में नही दिख रहा कोरोनेशन अस्पताल। कोरोनेशन अस्पताल ने दून अस्पताल के कोरोना सम्बन्धी तथ्यों को भी संदिग्ध बताया है। इस पूरे मामले में सच पर पर्दा डालने व महामारी एक्ट के उल्लंघन पर दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की भी मांग तेजी से उठ रही है। गुरुवार को कोरोनेशन अस्पताल कर्मियों ने गंभीर मुद्दे उठाते हुए प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका को एक पत्र लिखा है। पत्र का कुल लब्बोलुआब यह निकलता है कि कोविड मरीज की वजह से कोरोनेशन अस्पताल ही खतरे की जद में आ गया है।पत्र में कोरोना के जिला नोडल अधिकारियों की कार्यशैली पर भी तीखे सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि कोरोना पॉजिटिव बहन 9 जून तक लगातार अपने बीमार भाई के साथ रही। कोरोना पॉजिटिव लड़की की दुबारा जांच भी नही की गई।और किस आधार पर कोरोनाग्रस्त मरीज को हफ्ते भर के अंदर संक्रमण मुक्त मानते हुए डिस्चार्ज कर दिया गया। उक्त लड़की के अपने भाई की तीमारदारी व कोरोनेशन स्टाफ के साथ सम्पर्क में आने अन्य जगह से आने वाले मरीज भी संकट में घिर गए हैं ( देखें पत्र )उधर, दून अस्पताल सूत्रों का कहना है कि मानवीय आधार पर बहन को भाई की तीमारदारी की छूट दी गयी। लेकिन कोरोना पॉजिटिव मरीज का सामान्य वार्ड में जाकर इस तरह लकवाग्रस्त भाई के साथ रहने से संक्रमण नही फैला होगा। क्या 4 जून के बाद कोरोना पॉजिटिव लड़की से संक्रमण फैलने का डर नही था। दून अस्पताल प्रबंधन ने भी पत्र के जरिये कुछ सवालों के जवाब मांगे हैं।इसके अलावा चमोली जिले से आये बीमार लकवाग्रस्त भाई के उपचार में भी लापरवाही के संकेत मिल रहे है। कोरोनेशन में भर्ती होने के बाद बीमार लड़के के पेट से लगभग डेढ़ लिटर मवादयुक्त पानी निकाला गया। (देखें वीडियो व चित्र)जबकि वह लड़का 28 मई से 8 जून तक दून अस्पताल में भर्ती था। इस बीमार युवक का सही इलाज नही होने पर भी कोरोनेशन व दून अस्पताल के बीच तलवारें खिंच गई है। कोरोना संकट में दून अस्पताल में मनमानी, लापरवाही व लीपापोती का यह मुद्दा गंभीर चर्चा का विषय बन गया है। कोरोनाशन कर्मियों ने आर पार की जंग के लिए कमर कस ली है।