तेज़ गर्मी के बाद, बरसात का मौसम प्रकृति का आलौकिक वरदान होता है ,ग्रीष्मकाल के बाद जब तपती धरती पर बारिश गिरती है तो वातावरण उमंगित हो जाता है ।लेकिन मौसमी बदलाव अपने साथ कई रोगों को आमंत्रण भी देता है ,इसलिए यदि आप वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य सावधानियां रखेंगे तो बीमारियों से तो बचेंगे ही,साथ ही इस मौसम का पूरा आनन्द भी ले पाएंगे।बारिश के मौसम में पेट के रोग, सर्दी-खांसी, त्वचा रोगों से लेकर दस्त, मलेरिया, डेंगू, टाईफ़ोइड, पीलिया इत्यादि अनेकों रोग फैलते है।जिस तरह हम बारिश से बचने के लिए छाते के इस्तेमाल करते हैं ठीक उसी तरह बरसात के मौसम मे फैलने वाली इन बीमारियों से बचने के लिए भी हमें कुछ एहतियात रूपी छाते का इस्तेमाल करना चाहिए। भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के बोर्ड सदस्य एवं आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. महेंद्र राणा बरसात के मौसम में अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दे रहे हैं कुछ महत्वपूर्ण सुझाव :* पहली बारिश के साथ ही दही, मट्ठे का सेवन कम से कम एक माह के लिये बंद कर दें.ये इसलिए. क्योंकि बरसात गिरते ही सब प्रकार के वायरस, कीटाणु भी पनपने लगते हैं जिससे पशुओं का चारा भी दूषित हो जाता है,परिणाम स्वरुप कीटाणुओं के रस दूध में भी आ जाते है और जब हम दही जमाते है तो इन एक कोशिकीय कीटाणुओं को भी पनपने का अवसर मिल जाता है । यदि आप बरसात में दही मठे का सेवन नहीं करेंगे तो दूध उत्पादों की एलर्जी जिससे मुहांसे व अन्य त्वचा रोग होते हैं, से बचे रहेंगे। हरे पत्ते के शाक (साग) सलाद पहले एक माह के लिये बंद कर दें क्योंकि इनमें भी कीटाणुओं से दूषित होने खतरा है।आयुर्वेद में शाक को बरसात में खाना बीमारियों को स्वयं न्योता देना बताया गया है ।
* बरसात के मौसम में, प्रकृति की सब रचनाओं के साथ साथ हमारा पाचन भी कमज़ोर हो जाता है और पेट में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है ,इसलिए भोजन के बाद एक चम्मच समभाग अजवाईन, सोया (काली कडवी सौंफ) व सौंफ का भुना हुआ चूर्ण अवश्य लें ।ताज़े आहार लें, लेकिन कम मात्रा में लें । हमेशा ताजे और स्वच्छ सब्जी एवं फलों का सेवन करें ।ध्यान रहे, खाने से पहले फल – सब्जी को अच्छे से स्वच्छ पानी से धो कर साफ कर लें।बासी भोजन,पहले से कटे हुए फल तथा दुषित भोजन का सेवन करने से बचें ।ऐसा भोजन खाएं जो आसानी से पच जाये।क्योंकि बरसात के मौसम में हमारी पाचन शक्ति भी मंद हो जाती है इसलिए जब भूख लगे तब ही और जितनी भूख हो उतना ही या उस से कम खाएं ।
बाहर सड़क के किनारे मिलने वाला या होटल का खाना खाने से पूरी तरह बचना चाहिए। बाहर का खाना खाने से हैजा, दस्त, उलटी, टाइफाइड इत्यादी गंभीर रोग हो सकते हैं।सड़क के किनारे बेचे जानेवाले चायनिज फ़ूड, भेल, पानी पूरी यह फ़ूड- पॉईजनिंग होने के प्रमुख कारण होते हैं। हाँ, इसका एक अपवाद ज़रूर है ,यदि आपका पाचन सही है तो अपने सामने तले कचोडी, मंगोड़े, पकोड़े, का लुत्फ़ उठाया जा सकता है क्योंकि डीप फ्राइंग से सब कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।