देहरादून। सरकार के आदेशों को ताक पर रख कर सिडकुल द्वारा उत्तरप्रदेश निर्माण निगम की ब्लैक्लिस्टेड निर्माण एजेंसियांे को काम देने में जो घोटाले सामने आए है उससे एक बार फिर सरकार और अधिकारियों के बीच गतिरोध सामने आया है। इससे साफ जाहिर है कि मुख्यमंत्री अफसरशाही पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहे है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब सरकार अफसरशाही पर लगाम नहीं लगा पा रही है और जिससे स्थानीय लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अपनी इस नाकामी के लिए मुख्यमंत्री जनता के प्रति जवाबदेह तो है ही साथ ही जिस कुर्सी को संभालने में वे बार बार नाकाम साबित उसे उन्हें स्वयं ही छोड़ देना चाहिए।
उक्त आरोप आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रविन्द्र सिंह आनन्द ने लगाए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से एक विभाग द्वारा स्थानीय छोटे ठेकेदारों और एजेंसियों को दरकिनार कर के उत्तरप्रदेश की निर्माण एजंेसियों को काम दिया जा रहा है और वह भी ब्लैक्लिस्टेड यह स्थानीय एजेंसियों के साथ धोखा है। श्री आनन्द ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है इससे पहले भी कई बार सामने आया है कि विभागों की ओर से उत्तरप्रदेश की निर्माण एजंेसियों को काम दिए गए है जबकि स्थानीय ऐजेंसियो से आवेदन लिए गए। उन्होंने कहा कि यहां पर सवाल यह उठता है कि क्यों सरकार की ओर से इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने के लिए कोई रणनीति नहीं बनाई जाती। श्री आनन्द ने कहा कि जहां एक ओेर सरकार जीरो टाॅलरेंस की बात करती है वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम भी कर रही है। यदि सरकार के मुखिया इस पर प्रतिबंध लगानेे में नाकाम है तो उन्हें इस कुर्सी पर बने रहने का कोई हक नहीं है।