देहरादून। सीबीआई टीम ने गाजियाबाद के कौशांबी शाखा स्थित यूनियन बैंक में 19 करोड़ 59 लाख की बैंक लोन धोखाधड़ी के मामले में 8 नामजद लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कानूनी शिकंजा कसा है। आरोप है कि दिल्ली स्थित गोविंदा इंटरनेशनल फर्म के संचालकों ने यूनियन बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर 19 करोड़ रुपए से अधिक की लोन की रकम को ठिकाने लगाने का काम किया है।
मामला 2017 का है, जिसमें गाजियाबाद कौशांबी स्थित यूनियन बैंक की शाखा से दिल्ली के गोविंदा इंटरनेशनल फर्म ने अपनी प्रॉपर्टी के एवज में 15 करोड़ रुपए की सीसी लिमिट बनाई थी। इसी लिमिट के चलते बैंक से 19 करोड़ 59 लाख का लोन लिया गया, जो आज तक बैंक को वापस नहीं किया गया है। सीबीआई ने मामले में आरोपित तत्कालीन बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों पर नामजद मुकदमा दर्ज कर कानूनी शिकंजा कसा है। लोन फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपियों ने अपनी प्रॉपर्टी लिमिट का इस्तेमाल भी कर लिया और बैंक का कर्ज भी नहीं चुकाया। मामले में जब जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि आरोपी द्वारा अपने सारे स्टॉक बेच दिए गए हैं। जबकि बैंक में बंधक दिखाई गई संपत्ति को भी खुर्द-बुर्द कर दिया गया है। ऐसे में तमाम जांच-पड़ताल के बाद देहरादून सीबीआई टीम ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक षड़यंत्र रचने का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
दिल्ली के फतेहपुर स्थित इलाके में ड्राई फ्रूट्स और किराना के थोक व्यापारी भी इस मामले में नामजद हैं। गोविंदा इंटरनेशनल के मालिक ने केशव जोशी और पवन कुमार शर्मा के साथ मिलकर पहले अपनी प्रॉपर्टी को गाजियाबाद के यूनियन बैंक में बंधक बनाकर लिमिट तय कराई। उसके बाद लोन लेकर पूरी साजिश को अंजाम दिया। आरोप के मुताबिक ऋण लेने के बाद बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस पूरे घोटाले में आरोपित कारोबारियों की मदद की। आरोपी यूनियन बैंक के कारनामे का खुलासा तब हुआ, जब यह जांच की फाइल मुंबई स्थित आरबीआई ऑफिस पहुंची। मुंबई आरबीआई टीम की जांच में पूरे मामले का खुलासा हुआ। ऐसे में इस मामले पर यूनियन बैंक के रीजनल मैनेजर सरोज दास ने बीते अक्टूबर 2020 को सीबीआई लखनऊ को लिखित शिकायत दर्ज कराई। लखनऊ सीबीआई टीम ने इस मामले को देहरादून सीबीआई को ट्रांसफर किया। जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई गई।
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