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तो एमपीसीसी ने खुद ही बढ़ा दिए बायोबेस्ट के पंद्रह प्रतिशत चार्ज

आईएमए ने नही दी कोई बायोमेडिकल बेस्ट चार्ज बढ़ाने की संस्तुति,बोले अस्पताल संचालक नही देंगे बढ़े चार्ज

चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून। जब एक एजेंसी अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल बेस्ट के चार्ज अपने आप बढ़ा दे तो सवाल उठेंगे ही ? जबकि वह ऐसा नही कर सकती। बिना आईएमए की सहमति के किसी भी स्थिति में दरें बढ़ाना गैर कानूनी है। इस सब पर भारी भरकम असीमित अधिकारों से लैस प्रदूषण बोर्ड आंख कान बंद कर ऐसा करने से रोकने की हिम्मत भी नही जुटा पा रहा और अस्पताल संचालक हर तरफ से लुट रहे है। गौरतलब है कि उतराखण्ड के गढ़वाल मंडल में बायोमेडिकल बेस्ट उठान और निपटान के लिए एक एजेंसी एमपीसीसी को प्रदूषण बोर्ड द्वारा अधिकृत किया गया है। कोरोना काल मे अचानक इस एजेंसी ने पंद्रह प्रतिशत दाम बढ़ा दिए,वही कोरोना चार्ज भी अलग से बढ़ा दिया। अस्पताल संचालक पहले सब समझ रहे थे कि आईएमए द्वारा ही ऐसा करने के लिए बोला होगा,एजेंसी और राज्य प्रदूषण बोर्ड भी यही दावा करती है कि रेट आईएमए ने बढ़ाये है। लेकिन इसमें सच्चाई नही है आईएमए के देहरादून जिले के जिला अध्यक्ष डॉक्टर अमित सिंह ने बताया कि आईएमए स्टेट व डिस्टिक कमेटी ने बायोमेडिकल बेस्ट की कोई दरें बढ़ाने की संस्तुति या कोई पत्र जारी नही किया। अमित ने यह भी बताया कि हम बढ़ी दरें नही देंगे एजेंसी ने मनमाने तरीके से प्रदूषण बोर्ड की सह पर यह सब कुछ किया होगा। अमित ने बताया कि एक मीटिंग वर्चुवली की गई थी जिसमे कोई भी निष्कर्ष नही निकला था। जबकि आईएमए और अन्य अस्पलात संचालको द्वारा प्रदूषण बोर्ड के अफसरों को कई बार लिखित और मौखिक, आ रही परेशानियों से अवगत करवाया गया लेकिन कोई सुनवाई नही,उल्टे बायोमेडिकल बेस्ट के नाम पर एजेंसी रोज नए नए चार्ज वसूल रही है। यह सब इसलिए भी हो रहा है,एजेंसी यहां पर इकलौती है उसकी मोनोपॉली भी काम कर रही है। शिकायत तो यहां तक है कि कई जगहों में तो दो से चार दिन बाद बायोबेस्ट उठाने वाली गाड़ी आती है लेकिन पैसा पूरा लिया जाता है। जब इस संबध में प्रदूषण बोर्ड के अफसरों से बात करनी चाही तो मेम्बर सेक्रटरी और चीफ ने फोन नही उठाया,बाकी एक दूसरे के पाले में गेंद फेंकते दिखाई दिए अधिकृत नही है कहकर बात को टालते रहे। एमपीसीसी के संचालक ने भी फोन नही उठाया। ऐसी स्थिति में टकराव होने की प्रवल संभावनाएं है। सवाल यह है कि जब आईएमए ने दरें नही बढाई तो किसकी सह पर ऐसा किया जा रहा है इस सबकी जांच जरूरी है।

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