यमकेश्वर विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा ने रेनू बिष्ट को उतारा गया है। यमकेश्वर विधायक ऋतु खण्डूरी का टिकट काट दिया गया है, जबकि वह बीजेपी की प्रदेश महिला अध्यक्ष है। इसके पीछे के सियासी मायने और रणनीति को टटोला जाने लगा है। सियासी पंडित इसे भाजपा की रणनीति का बेहतर हथियार बता रहे हैं। एंटी-इनकमबैंसी का तोड़ के साथ ही जातिगत समीकरणों को फिट बिठाने की रणनीति को बेहतर हथियार है। कांग्रेस के प्रत्याशी घोषित करने के बाद ही स्थिति और स्पष्ट होगी कि मुकाबला कितना रोमांचक होगा।अब जरा यमकेश्वर से भाजपा प्रत्याशी रेनू बिष्ट के सियासी सफर पर नजर दौड़ाते हैं। रेनू बिष्ट यमकेश्वर क्षेत्र की ढोंर धारी गाँव की मूल निवासी एवं 2003 से 2008 तक यमकेश्वर की ब्लॉक प्रमुख रही है। तीन बार यमकेश्वर से चुनाव लड़ी जिसमे 2007 मे कोंग्रेस से चुनाव लड़ी फिर 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़ा औऱ पुनः 2017 में चुनाव लड़कर यमकेश्वर से दूसरे नम्बर रही। 2020 में कोंग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई।बीजेपी संग़ठन ने उन्हें टिकट देने का कारण राजनीति के प्रकाण्डों का कहना है कि रेनू बिष्ट ने 2017 में निर्दलीय चुनाव लड़ा तो दूसरे नम्बर पर रही एवं कॉंग्रेस से संभावित उम्मीदवार शैलेन्द्र रावत या महेंद्र राणा को तय मानते हुए इस बार जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर दिया गया है। क्योकि यमकेश्वर में जातिगत हिसाब से देखा जाय तो ब्राह्मण वोटर और ठाकुर वोटर ज्यादा है, ऐसे मे ठाकुर मतदाताओं को साधने के लिये रेनू बिष्ट को आगे लाया गया है। वर्तमान ऋतु खण्डूरी के टिकट कटने के पीछे मुख्यमंत्री राहत कोष कार्यकर्ताओ में बांटने के आरोप, जनता से सीधे जनसंवाद नहीं होने, और सोशल मीडिया में ज्यादा दुष्प्राचार होने की वजह मानी जा रही है। हालांकि ऋतु खण्डूरी ने पिछले 5 सालों के कार्यो का आंकलन किया जाय तो उसने यमकेश्वर क्षेत्र के विकास के लिये सड़को को गाँव तक पहुचाने और केंद्र से बीन नदी पुल की स्वीकृति से लेकर पमिं्पग योजना से पानी पहुचाने का कार्य किया है। आने वाले नए विधायक के लिये एक लंबी लकीर वह खींच गई हैं। वर्तमान विधायक ऋतु खण्डूरी टिकट काटने के बारे में इसे पार्टी संगठन का निर्णय बताया और कहा कि हम भाजपा के सिपाही है भाजपा के लिये कार्य करेंगे। लोकसभा चुनाव लड़ने पर वह हँसते हुए बोली कि यह अभी भविष्य निर्धारित करेगा, फिलहाल भाजपा को पुनः विजय दिलाना उनका लक्ष्य है।वही रेनू बिष्ट के लिये यमकेश्वर की बीजेपी सीट माने जाने वाली सीट के लिये बहुत मेनहत करनी होगी क्योकि कोंग्रेस से बीजेपी में आई और टिकट मिल जाने से यमकेश्वर क्षेत्र में बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता अपने को छला हुआ महसूस कर रहे हैं। साथ ही दुगड्डा और यमकेश्वर के न्याय पंचायत किमसार, नौगांव, बनचुरी, बडयूँण न्याय पंचायत में अपनी मजबूत पकड़ बनानी होगी, वंही द्वारीखाल में उनके बेटे अमन बिष्ट चाँदपुर जिला पंचायत सदस्य हैं जिसका फायदा उन्हें मिल सकता है। वहीं अब कॉंग्रेस से किसको टिकट मिलता है, इस पर सबकी निगाहे है, यदि कोंग्रेस शैलेन्द्र रावत को प्रत्याशी बनाती है तो दोनों में कांटे की टक्कर रहेगी क्योकि पिछले 5 साल से वह क्षेत्र में सक्रिय है, और तीनों मंडलों में उनका जनाधार है, जबकि महेंद्र राणा को टिकट मिलता है तो रेनू बिष्ट के लिये द्वारीखाल में स्थिति कमजोर रहेगी।
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