उत्तराखंड विधानसभा चुनाव पर सभी की नजरें गढ़ी हैं और फैसला जनता को करना है। कई सीटों पर पुरानी सियासी अदावतें भी जुड़ी हैं। हरिद्वार ग्रामीण व कोटद्वार सीटें भी ऐसी हैं। इन सीटों पर बेटियां चुनावी मैदान में हैं और सामने हैं इन बेटियों के पिताश्री को चुनाव में हराने वाले वही चेहरे। देखना यह है कि ये बेटियां पिता श्री की हार का बदला इस बार ले पायेंगी। खास बात यह है कि इन बेटियां के पिताश्री उस वक्त मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए चुनाव हारे थे। आइये आपको विस्तार से इन्हीं सियासी पहलुओं पर विस्तार से जानकारी देते हैं। पेश है यह खास रिपोर्ट।दरअसल, भाजपा के टिकट से ऋतु भूषण खंडूड़ी कोटद्वार और कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ रही हैं। वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री रहते हुए मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवन चंद्र खंडूड़ी कोटद्वार सीट पर कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी से हार गए। खंडूड़ी को 27,174 और नेगी को 31,797 वोट मिले थे। खंडूड़ी 4,623 वोटों से हार गए थे। जबकि उस समय भाजपा ने खंडूड़ी है जरूरी नारे पर चुनाव लड़ा था। अब इस सीट पर उनकी बेटी ऋतु भूषण खंडूड़ी भाजपा प्रत्याशी हैं और कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। ऋतु अपने पिता की चुनावी हार का बदला चुका पाती हैं या नहीं, यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा।कोटद्वार सीट पर 2017 में हरक सिंह रावत भाजपा के टिकट से जीते थे और अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। वर्तमान चुनाव में कोटद्वार सीट पर 1,12,608 वोटर हैं, जिनमें 55,018 महिलाएं हैं।इसी तरह, 2017 के चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण सीट पर हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते हुए भाजपा के यतीश्वरानंद से 12,278 वोटों से हारे थे। यतीश्वरानंद को 44,964 तथा हरीश रावत को 32,686 वोट मिले थे। अब इस सीट पर हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत भाजपा प्रत्याशी यतीश्वरानंद के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। अनुपमा अपने पिता की 2017 में हुई हार का बदला चुका पाती हैं या नहीं, यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा।