यमकेश्वर,यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी की जन्मभूमि यमकेश्वर सीट पर इस बार घमासान होना तय माना जा रहा है। शुरू मंे अंदरूनी खटरपटर से थोड़ा सा कमजोर दिख रही कांग्रेस ने अब पूरी तरह से कड़े मुकाबले के समीकरण बना दिये हैं। बगावती तेवर दिखा रहे महेंद्र राणा के कांग्रेस प्रत्याशी शैलेंद्र सिंह रावत के समर्थन में खुलकर आने से यमकेश्वर सीट पर भाजपा को पसीना बहाना पड़ रहा है।
यमकेश्वर विधानसभा भी हाॅट ही है। यहां भाजपा व कांग्रेस आमने-सामने हैं। भाजपा ने यहां रेनू बिष्ट को मैदान में उतारा है जबकि कांगे्रस ने पूर्व विधायक शैलेंद्र सिंह रावत पर दांव खेला है।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि रेनू बिष्ट की यमकेश्वर क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। पिछले चुनाव में उन्होंने यह साबित कर दिया था, यह बात अलग है कि 2017 में रेनू बिष्ट चुनाव हार गयी थीं लेकिन हार में भी उनकी मजबूत सियासी पकड़ व वोट बैंक साफ दिखा। जिससे सियासी पंडित भी भौचक्के रह गये थे।
2017 में शैलेंद्र सिंह रावत यमकेश्वर से चुनाव हार गये थे लेकिन यह भी सच ही है कि हारने के बाद शैलेेंद्र सिंह रावत यमकेश्वर मंे खासे सक्रिय रहे हैं। यूं कहें कि पिछले पांच सालों में शैलेंद्र सिंह रावत ने अपना खासा जनाधार तैयार किया है।
भाजपा का कमजोर पक्ष एंटी-इनकमबैंसी भी है। एक वजह, यह भी थी कि भाजपा ने इस सीट पर सिटिंग विधायक ऋतु खंडूरी की जगह रेनू बिष्ट को मैदान में उतारा है। कांग्रेस की बात करें तो टिकट नहीं मिलने से द्वारीखाल ब्लाक प्रमुख महेंद्र राणा नाराज हो गये थे। लेकिन बाद में वे मान गये और अब खुलकर कांग्रेस की जीत के लिये ताकत झोंक रहे हैं।
अब जनसपंर्क और प्रचार में दोनों दलों के प्रत्याशियांे ने ताकत झोंक दी है। जीत किसकी होती है यह वक्त ही तय करेगा। इतना कहा जा सकता है कि यहां भाजपा व कांग्रेस में कड़ा मुकाबला होना तय है।
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