देहरादून। उत्तराखण्ड में लगातार भाजपा की दोबारा प्रचंड जीत का सेहरा कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सिर का ताज बनने जा रहा है। सूत्रांे के अनुसार धामी की चुनाव में हार के बावजूद पार्टी आलाकमान में विधायकों से राय लेने के बाद उन्हें दोबारा उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पद पर काबिज करने के लिए लगभग सहमति बन चुकी है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो पुष्कर धामी दोबारा उत्तराखण्ड की सत्ता की कमान संभालेंगे।
पिछली सरकार में त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद तीरथ सिंह रावत को प्रदेश की कमान सौंपी गयी थी। किन्तु कुछ तकनीकि खामियों के चलते उन्हे पद से हटना पड़ा। जिसके बाद प्रदेश की कमान युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को सौंपी गयी। जिन्होंने सत्ता पर काबिज होते हुए जनता की बीच भाजपा सरकार की छवि को सुधारने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया। उन्होंने प्रदेश में चल रहे कई बड़े आन्दोलनों को समाप्त करवाया। वहीं अपने अल्प समय के कार्यकाल में उन्होंने अधिक से अधिक जनहित के काम किए। जिससे उत्तराखण्ड में भाजपा की छवि में बहुत सुधार हुआ। नहीं तो पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत के कार्यकाल में भाजपा सरकार की छवि को काफी ठेस पहंुची थी। अल्प कार्यकाल के दौरान पुष्कर सिंह धामी ने अपनी पूरी ताकत झांेककर जनता के बीच फिर से भाजपा को मजबूत बनाने का काम किया। इतना ही नही चुनाव में उनके विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला था। उसकी परवाह किए बगैर धामी अपने प्रत्याशियों की हौसला अफजाई के लिए प्रदेशभर की विधानसभाओं में घूम घूम कर जन समर्थन हासिल करते रहे। जिसके चलते उन्हें त्रिकोणीय मुकाबले में उन्हे हार का सामना करना पड़ा। खुद तो धामी हार गए किन्तु भाजपा को दोबारा प्रचंड जीत दिलानें में उनके योगदान को खुद भाजपा कभी नही भुला पाएगी। उनकी पार्टी के प्रति कर्तव्य निष्ठा और समर्पण भाव को देखकर कई भाजपा के विधायक उनके कायल हो गए और उन्हे पार्टी आलाकमान से उन्हे पुऩ मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने लगे। कुछ विधायक तो उनके लिए अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार भी हो गए है। सूत्रों के अनुसार पार्टी आलाकमान के हर पहलू पर विचार करने और विधायकों से रायशुमारी के बाद सीएम पद पर फिर से धामी को काबिज करने के लिए लगभग मन बना लिया है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो एक आध दिन में पुन सत्ता की चाबी पुष्कर धामी के हाथ में होगी।
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