ऋषिकेश। टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड विशेष रूप से कमजोर-ग्रामीण महिलाओं और परियोजना प्रभावित क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए हमेशा प्रतिबद्ध और सक्रिय रहा है। इसी संबंध में, टीएचडीसीआईएल-विष्णुगाड-पीपलको
विधवा सहायता पेंशन योजना की पीपलकोटी निवासी लाभार्थी शिवा देवी ने कहा कि “इस बुढ़ापे में कम से कम बाहर जाकर काम नहीं करना पड़ रहा जब से टीएचडीसी कम्पनी हमें पेंशन दे रही है द्य” जबकि योजना की एक अन्य लाभार्थी, चमोली जिले के ग्राम दसवाना निवासी सावित्री देवी ने कहा कि विधवा पेंशन के रूप में यह आर्थिक सहायता हमारे बुरे वक्त में काम आ रही है। गौरतलब है कि सावित्री देवी गांव के पंचायत भवन में अपने बेटों द्वारा घर से अलग कर दिए जाने के कारण अकेली रहती हैं। इस योजना के तहत लगभग 24 विधवा महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं और उन्हें वीपीएचईपी-टीएचडीसीआईएल से वित्तीय सहायता के रूप में प्रति माह 1500 रुपये मिल रहे हैं, जबकि 9 लाभार्थियों की पेंशन प्रक्रिया में है। यह स्पष्ट है कि जब से विधवा पेंशन योजना का लाभ महिलाओं को मिल रहा है, तब से उन्हें बाहर जाकर काम करने की जरूरत नहीं है और साथ ही वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र भी हुई हैं। टीएचडीसीआईएल मानता है कि ष्स्वस्थ, शिक्षित और सशक्त महिलाएं बदलाव लाने में मुख्य भूमिका निभाती हैंष्। जब महिलाओं का समर्थन किया जाता है, उन्हें सशक्त बनाया जाता है, तो उन्हें आत्मविश्वास मिलता है और उन्हें अपने अधिकारों के लिए बोलने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने का भी अवसर मिलता है। इसलिए टीएचडीसीआईएल की यह वित्तीय सहायता विधवा महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। टीएचडीसीआईएल भारत की अग्रणी विद्युत उत्पादन कंपनियों में से एक है । टिहरी बांध एवं एचपीपी (1000 मेगावाट), कोटेश्वर एचईपी(400 मेगावाट), गुजरात के पाटन में 50 मेगावाट एवं द्वारका में 63 मेगावाट की पवन विद्युत परियोजनाओं, उत्तर प्रदेश के झांसी में 24 मेगावाट की ढुकवां लघु जल विद्युत परियोजना एवं कासरगॉड केरल में 50 मेगावाट की सौर परियोजना के साथ टीएचडीसीआईएल की कुल संस्थापित क्षमता 1587 मेगावाट हो गई है।