टिहरी। टिहरी में अतिवृष्टि के बाद मलबे के ढेर में दबे मकान में पांच लोगों का तीसरे दिन भी पता नहीं चल पाया है। दबे लोगों की तलाश में जुटी एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीम मलबा खोदने में जुटे हैं लेकिन हाथ फिर भी खाली है। डीएम ने बताया कि घटनास्थल से एक किमी तक मलबा हटाने के बाद भी लापता लोग नहीं मिल पाए हैं। टीम मंगलवार को फिर से अभियान चलाएगी। वहीं जिला प्रशासन ने आपदा में मारे गए राजेंद्र सिंह के आश्रितों को चार-चार लाख राहत राशि के चेक दिए हैं।
19 अगस्त तड़के अतिवृष्टि से जौनपुर ब्लॉक के कुमाल्डा क्षेत्र में भारी तबाही हुई जिससे ग्वाड़ गांव में दो परिवारों के सात लोग मलबे में दब गए थे। इसी दिन ग्रामीणों ने रेस्क्यू कर राजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी सुनीता देवी के शव बरामद कर लिए थे लेकिन कमांद सिंह और उनके परिवार के चार लोग अभी भी लापता हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 17 सदस्यीय टीम तलाशी अभियान चला रही है। डीएम डा. सौरभ गहरवार ने बताया कि ग्वाड़ गांव में घटनास्थल से एक किमी तक टीम ने तलाशी अभियान चलाया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। आपदा से क्षतिग्रस्त जौनपुर ब्लॉक के कद्दूखाल-सत्यों मोटर मार्ग पर सोमवार को 54 किमी तक यातायात बहाल करने में प्रशासन को कामयाबी मिल गई। कद्दूखाल से लालपुल तक वाहनों का संचालन शुरू हो चुका है लेकिन लालपुल से आगे नौ किमी सड़क अभी भी पूरी तरह से यातायात के लिए बंद है। डीएम डा. सौरभ गहरवार ने बताया कि लालपुल से आगे सड़क खुलने में एक-दो दिन का वक्त लग सकता है। सौंग नदी के उस पार बसे रगड़ गांव को प्रशासन ने ट्राली से जोड़ने की योजना बनाई है। गांव की सड़क आपदा की भेंट चढ़ गई है जिससे लोग गांवों में ही कैद होकर रह गए हैं। पैदल रास्ते भी क्षतिग्रस्त हो चुक हैं। गांव के समीप बह रही सौंग नदी उफान पर है। आवागमन का कोई अन्य साधन नहीं होने के कारण रगड़ गांव में खाद्यान्न सामग्री पहुंचाना चुनौती बनी हुई है। सड़क की मरम्मत होने तक प्रशासन ने रगड़ गांव तक आवागमन करने के लिए ट्राली लगाने का निर्णय लिया है। डीएम डा. सौरभ गहरवार ने बताया कि सौंग नदी के पार रगड़ गांव पहुंचने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के लिए ट्राली लगाई जाएगी। तीन-चार दिन के भीतर ट्राली लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। चिफल्टी गांव के लिए सिंचाई विभाग की सड़क से वैकल्पिक मार्ग बनाया जा रहा है।
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